???? खैरागढ़ उपचुनाव का राजनीतिक परिदृश्य ???? भाग 1…….
✍????दीपांकर खोबरागड़े (राजनांदगांव ― पत्रकार)
⏩भाजपा समर्थित सरपंच आखिर क्यों पदमा देवी का कर रहे हैं समर्थन!
राजनांदगांव। जिले की राजनीति का परिदृश्य हमेशा शीर्ष पर रहा है , चूंकि 15 वर्षों तक भारतीय जनता पार्टी के डॉ. रमन सिंह प्रदेश के मुखिया के बतौर छत्तीसगढ़ प्रदेश में राज किए हुए हैं। उन्होंने अपने समय में अनेकों को सत्ता में भागीदारी का लाभ पहुंचाया है इस मायने से राजनांदगांव विधानसभा से डॉ. रमन सिंह आज भी विधायक है , इसलिए भारतीय जनता पार्टी पहले पूरे प्रदेश का चुनाव बुरी तरह से हार चुकी पर राजनंदगांव में डॉ. रमन सिंह ने अपनी कुर्सी बचा कर यह साबित कर दिया कि आज भी राजनांदगांव के लोग उनसे उतना ही प्यार करते हैं , जितना मुख्यमंत्री रहते हुए किया । इससे आगे बढ़ें तो अभी राजनांदगांव जिले में खैरागढ़ राजपरिवार स्वर्गीय देवव्रत सिंह के निधन के पश्चात बड़ी चर्चा में है , लड़ाई महल की सड़को व अखबारों तक पहुंच गई, स्थिति यह रही की राजनांदगांव में राज परिवार के लोग अपने-अपने दावे मजबूत दिखाने के दृष्टिकोण से पत्रकार वार्ता कर अपनी-अपनी बात रखनी पड़ी क्योंकि खैरागढ़ में उपचुनाव होना है इस मद्देनजर सारा दृष्टिकोण राजनीतिक गलियारों के इर्द-गिर्द ही घूम चुका है। ऐसे में कुछ दिन पहले खैरागढ़ छुईखदान के सरपंच संघ के जनप्रतिनिधि पत्रकारवार्ता आहूत कर यह बताना चाहा की जो दावा पदमा देवी सिंह कर रही है कि उनके साथ सरपंचों का समर्थन हासिल है उस दावे को सरासर झूठा बताया और जनप्रतिनिधियों ने बताया कि पदमा देवी सिंह के साथ कोई सरपंच संघ नहीं है । स्थिति यह रही कि बाद में पदमा देवी सिंह को यह साबित करना पड़ा कि उनके साथ सरपंच संघ के जनप्रतिनिधि समर्थन में हैं, पर ज्यादातर भारतीय जनता पार्टी समर्थित ही उनके साथ दिखे इसलिए सबसे विचारणीय प्रश्र यह है कि आखिर भाजपा समर्थित सरपंचों को पदमा देवी सिंह का समर्थन करने की आवश्यकता क्यूं आन पड़ी क्या पदमा देवी सिंह को भारतीय जनता पार्टी टिकट देगी? और भारतीय जनता पार्टी पदमा देवी सिंह को अपना सदस्य भी नहीं मानती ऐसे में भाजपा के जनप्रतिनिधि आखिर भाजपा नेता के इशारे पर यह काम कर रहे हैं जिसमें पदमा देवी सिंह को जनप्रतिनिधियों का समर्थन प्राप्त होने का भ्रम पैदा हो रहा है क्योंकि अब महल की लड़ाई राजनीति और सत्ता में तब्दील होती नजर आ रही है ऐसे में कई तरह के राजनीतिक गुणा भाग चलते ही रहेंगे। कमोबेश यह समझने की आवश्यकता है कि आखिर कौन भाजपा का नेता जो खैरागढ़ से राजनीतिक उठापटक में अपने आप को चाणक्य समझता है। वह इस राजनीति के गुणा भाग में आखिर कौन सा अवसर ढूंढ रहा है। ऐसे चेहरे को भाजपा को पहचानना होगा और आने वाले खैरागढ़ उपचुनाव के लिए भाजपा की कलाई को कमजोर ना कर और मजबूत बनाने ज्यादा प्रयास करने होंगे। नहीं तो भाजपा की नैया को उपचुनाव में बचा पाना मुश्किल होगा।
✍????दीपांकर खोबरागड़े