*◼️”””खैरागढ़ भाजपाई ग्रसित हैं कॉंग्रेश जिला प्रवक्ता अनुराग तुर्रे फ़ोबिया से””*
*◼️बयानवीरों से यह कहना चाहते हैं- धुरंधरो एक दूजे को अपने हाल पर छोड़ो ,,, नगर में सकारात्मक राजनीति करके तो दिखाओ।*
खैरागढ़ । आपको पता है आजकल भाजपा और कांग्रेस की हालत कैसी हो गई है? सूत न कपास, जुलाहों में लटमलट। एक कुर्सी पर है और दूसरी नीचे लेकिन दोनों की सोच एकदम उल्टी है। भाजपा अभी तक यह नहीं मान पाई है कि अब सत्ता उसके पंजे में नहीं है और काँग्रेशी सत्ताधारियों जैसा बड़प्पन नहीं दिखा पा रही है। उसे लगता है कि सरकार चलाने के लिए हमेशा आक्रामक रहना चाहिए। जो भाजपाइयों को नागवार है। अब सत्ता में है तो पावर तो दिखेगा ही।
खैर…. इस वक्त खैरागढ़ नगर में दो बांके हैं- भाजपा के नगर मंडल अध्यक्ष की टीम तो कांग्रेस के जिला प्रवक्ता अनुराग तुर्रे। अनुराग का एक सूत्री कार्यक्रम प्रतिदिन भाजपाईयों पर व्यंग्य बाण छोड़ना है। उधर शहर मण्डल भाजपा अध्यक्ष अनिल अग्रवाल अपनी कार्यप्रणाली अनुसार जब देखो तब बेमतलब के उलूल जुलूल मुद्दे को तूल देने में जुटे रहते हैं। जैसे उनके पास नगर की राजनीति करने और कोई मुद्दा नही हो। बगैर तीखा बोले रोटी हजम नहीं होती। आजकल वो एक कथित वायरल ऑडियो को लेकर काफी जनता में भ्रम पैदा कर काफी सुर्खियों में हैं बात थाने तक जो पहुंच गई और उनके सिपहसालार एक दूजे पर बोली की गोली दागने में व्यस्त हैं।
इधर कांग्रेशी नेता गण भाजपाइयों से पूछ रही हैे कि जिला प्रवक्ता अनुराग तुर्रे ने कब भाजपा के पार्टी का नाम लेते हुए क्या अपशब्द बोल दिया है। पहले कंफर्म तो कर लो कि कथित वायरल ऑडियो आखिर है किसकी ? कहीं जिला प्रवक्ता की छवि धूमिल करने किसी ने मिमिक्री कर एडिट ऑडियो को तो वायरल नहीं करदी। वायरल आडियो में वैसे भी नाम संबोधन के आगे भाजपा पार्टी का नाम तो नहीं लिया फिर भाजपाईयों को क्यों लगता है कि अनुराग तुर्रे उनके ही नेताओं को गाली दे रहे हैं एक नाम के कई लोग होते हैं जनाब ,,, कहीं ऐसा तो नहीं है न कि भाजपा शहर मंडल अध्यक्ष जी “अनुराग तुर्रे फोबिया” से ग्रस्त हैं। कोई भी वायरल ऑडियो जिला प्रवक्ता का लगता है या जो कोई भी बयान देते या लिखते हैं तो उन्हें फ़ोबिया रूपी अनुराग जी का एहसास हो जाता है। ख़ैर.. ये उनका अपना मसला है।
नगर में एक पक्ष बेबात की बात बनाने में जुटे हैं। अब आम आदमी से वर्तमान हालात के बारे में पूछो तो वह यही कहेगा कि विपक्ष के नेताओं का तो आदत है सत्ता में जो रहता है उसे किसी न किसी प्रकार से घेर कर छींटा कसी कर कीचड़ उछालने का काम तो करती ही है । एक आम जनता ने कहा कि ….. चलो हम मान भी लेते हैं कि उस कथित ऑडियो में जो आवाज है वो जिला प्रवक्ता का है तो क्या अनुराग तुर्रे यदि सूदखोरों को उनको आइना दिखा दिए तो नगर भाजपा के पेट में दर्द क्यों हो रहा है। मान लें अगर अनुराग जी एक बेईमान सूदखोर को उसकी रवैय्ये को लेकर गाली दे दिए तो इसमें गलत क्या है आखिर सूदखोरों को भाजपा ने लाइसेंस दे रखा है क्या ? वैसे भी नगर में बिना लाइसेंस के ब्याज का धंधा अनगिनत लोग कर रहे हैं जिनके कारण कई लोगों का घर बर्बाद हो गया है। अमुख सूदखोर की सूदखोरी की वजह से एक व्यक्ति इसके सूदखोरी से तंग आकर सूदखोरों द्वारा बार बार प्रताड़ित किये जाने से युवक आत्महत्या करने चला गया था तब भाजपाई कहाँ थे। जिसे जिला प्रवक्ता ने समझाकर उसका साथ दिया उसे भरोषा दिलाया की उसकी सहायता कर उसका कर्ज चुकता करने में मदद करेंगे । सूदखोर को कथित वायरल ऑडियो के युवक ने तो सिर्फ यही पूछा कि कितनी हिम्मत है कि आजकल आप लोग अपराधियों की तरह कृत्य कर रहे हो ।
नगर के एक नागरिक यह भी कहते हैं कि चलो मान लिया अब अनुराग जी उसके कर्जे देने को तैयार हैं इससे कांग्रेस के जिला प्रवक्ता को ही हानि है । मंडल भाजपा क्यों दुबली हुई जा रही है। इनको इस मामले में कूदने की क्या जरूरत है।
पता नहीं क्यों भाजपा के मन में एक अदृश्य अनुराग तुर्रे रूपी डर समाया हुआ है । तभी तो वह आजकल जिला प्रवक्ता पर लगातार बोलती रहती हैं। अखबारों में न्यूज पोर्टल में इनकी ही खबर देखने को मिल रही है। अब इन समझदारों को कौन समझाए…….. पर हमारी तो यही सलाह है कि भाई साहबो जब आप अनुराग को जानते हैं नगर की राजनीति में क्या अहमियत है और मानते हैं भी हैं तो फिर उसे लेकर काहे को मगजमारी करते रहते हो। चाहे आप किसी मनोवैज्ञानिक से पूछ लीजिए इस दशा में तो वह यही कहेगा कि कॉंग्रेश अभी सिंहासन पर है उसके मन में अनुराग फोबिया हावी है, तभी भाजपा बेमतलब इतनी बातें बना रही है। रही बात भाजपा की तो भैया सियासत न्यूज़ के खुलासे के बाद भी , अभी तक हकीकत से आंखें चार नहीं कर पा रहे हैं। अभी भी विनय देवांगन को अपना नगर निवाशी और पार्षद के दावेदार मान रहे हैं। खैर…..
राजनीति के असली सारथी तो जिला प्रवक्ता ही हैं , चाहे नगर परिषद में विरोधियों की संख्या 44 ही क्यों न हो। हम तो दोनों पक्षों से यही कहना चाहते हैं…… हे राजनीति के धुरंधरो एक दूजे को अपने हाल पर छोड़ो और जरा नगर में सकारात्मक राजनीति भी करके दिखाओ।
*कोई ढंग का मुद्दा उठाओ जिससे जनता का भला हो ।*