◼️जात पात न पूछो बाबाजी की , पूछ लो क्या है इनके सीटी के प्लाट का दाम । इसके सिटी के प्लाट की जनता ले लो गोरखधंधे का आज ज्ञान ।।
◼️एक बिल्डर से हुई बस इतनी सी गलती , इसने भी बसानी चाही नगर में अपनी बस्ती। रास न आई यहाँ के मिट्टी के शेरों को ,,,,,, डर गया बाबा डर गया दादा ,,,,,,,, कहीं बढ़ न जाये हमसे ज्यादा इसका रुतबा।।
◼️विरासत में मिला है उच्च कुल के नाम का वरदान , जिसकी नगर में है झूठी शान ।। किस्सा है ऐसे घराने का जो असल में है कौन सा खानदान।।
नगर में आगे कुछ व्यंग्यों का बाज़ार इस कदर गरम होने वाला है कि शायद सर्दी के इस मौषम में आपको AC चालू करना पड़ जाए। जी हां…..
आगामी कुछ समय बाद चुनाव जो है जहां पर कोई गुल्लू किसी के मंसूबे पर पानी फेरते नजर आएगा तो कोई उल्लू रात रात भर जाग कर किसी के जले पर नमक रगड़ने की फिराक में होगा। कहीं गुटबाजी हो रही है तो कहीं नई नई प्लानिंग …….. आज कोई खुश है तो कोई मंथन कर रहा है कि किस वार्ड से अपने दावेदारी करूँ……
बात है उसकी जिसके बलबूते पे आगामी अध्यक्ष की कुर्शी पाने के सपने संजोये चुनाव लड़ने की दिली इच्छा रखने वाले बन्धु अब छल दंड शाम भेद की तैयारी में जुट गए हैं। कारण …. आरक्षण की चिट , जिसे प्रत्यशियों ने एक दूसरे के लिए चिट निकाल कर अपने ही ताबूत में कील ठोंक दि। खैर….
मैं असल मुद्दे से फिर भठक गया , व्यंग्यकार जो ठहरा , घुमा फिरा की मेरी बात करने की आदत जो है। नगर में आज कल बिल्डरों का और भूमाफियाओं खूब बोलबाला है । आज कल तो इनका ही राज है तभी तो सरकार की योजनाओं का फायदा उठा कर बहती गंगा में खूब हाथ धो रहे हैं। अब भले ही कॉलनाइजर ने सड़क बनाई हो या रेरा के नियमानुसार आदेश का पालन किया हो या न किया हो पर कागजों में बिल्डरों ने खनिज मुरुम की न तो रायल्टी पटाई है और न ही खरीदी का बिल लगाया है। कॉलोनाइजर से कोई एक बन्दा अगर रेरा में शिकायत कर दे तो इन्हें पूरे 200% की पेनाल्टी लग जायेगी जिससे इनके सब होंश ठिकाने आ जाएंगे। यही नहीं इनके अलावा कोई दूसरा बिल्डर बंनने लगे तो इन्हें नीचा दिखाने आगे पीछे सोचे बिना दुनिया जहान की कई नई नई प्रपंच कर देते हैं अब चाहे इसका अंजाम आगे कुछ भी हो। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ कि कुछ रोज पहले एक बिल्डर की एक प्रतिष्ठित अखबार ने मुफ्त में ही फ्रंट पेज में प्रचार प्रसार कर दिया कि इसने आदिवासी की ज़मीन खरीद ली है अब इसे महंगा पड़ेगा । अब किसे महंगा पड़ेगा और कैसे ये तो वही बता सकता है पर अब उड़ता हुआ तीर बिल्डर लेगा या क्लोनाइर लेगा ये तो वख्त ही बताएगा । पर जनाब ये कैसी राजनीति की कूटनीति है जिसके एक रिश्तेदार को छोड़कर बाकी सब आदिवासी हैं। अरे मैं नहीं कह रहा ये तो एक अखबार में छपी खबर चीख चीख कह रहा है ……… जनता जनार्दन इसका मतलब की नगर की कॉलोनी जो इनके रिस्तेदार की है उसे कहीं आपने भी तो नहीं खरीद ली …. जरा देख लीजियेगा कहीं लेने के देने न पड़ जाये। इनका क्या हैं दान की ज़मीन को भी वापस मांग चुके हैं बड़े बड़े कई कारनामे कर बैठे हैं। हालाकिं आधा नगर इनकी है ऐसा रिकार्ड कहता है । पर इनके सग्गे रिस्तेदार अगर किसी को ज़मीन का टुकड़ा बेच दे तो बाबाजी दूसरे के कंधे में बंदूक रखकर शिकायत पत्र की गोली चला देते हैं भले शिकायत करने वाला व्यक्ति का कई साल पहले ही राम नाम सत्य हो गया हो। अब जल आवर्धन के संयंत्र का मामला ही ले लो ज़मीन तो पहले ही इसी बिल्डर को बेच दिया है किंतु मुआवजा के लिए खुद परिषद को आंख दिखा दिए। थोड़ी भी शर्म नहीं है …… जनाब पहले आप और आपके रिस्तेदार तय कर लें कि किस समुदाय से हैं ताकि हम गरीब आपकी ज़मीन सोच समझ ही आपसे खरीद सकें । क्योंकि जिंदगी भर की गाढ़ी कमाई होती है आप लोगो की तरह फरेब जालसाजी से कमाया हुवा धन नही होता है। वो क्या है न कि आप ज़मीन बेचने के समय सामान्य हो जाते हैं लेकिन आपको या आपके रिश्तेदारों को राश नहीं आती तो आदिवाशी बन जाते हैं। कुल मिलाकर मुझे तो उस बिल्डर पर तरस आता है कि उसको अब न्याय कौन दिलाएगा जिसने नियम परक सब काम किया है, वो भला वो उस प्रतिष्ठित अखबार में खबर लगाने वाले का जिसने ये खुलासे कर बिल्डर और नगर के बाकी जनता की आंख खोल कर रख दी । अब जिसे भी अपना आशियाना बसाना होगा तो कम से कम इनकी ज़मीन तो नहीं लेंगे ।।।।