15 परशेन्ट कमीशन दो ,, और काम लो….
नगर में एक खबर हवा में तितलियों की तरह उड़ रही है कि , नए साहब के आते ही वो खूब खासे चर्चे में है। हमने पूछा― चाचा जी भाई साहब ने आते ही ऐसा कौन सा झंडा गाड़ दिया। जिससे उनकी चर्चाएं नगर में सरेआम हो गई है? कुनमुनाते हुए चाचा बोले ― भतीजे , तुझे तो कुछ पता नहीं रहता। जैसी सूरत वैसी मूरत है। नहीं पता क्या ? साहब की कथनी और करनी बिल्कुल अलग है। साहब बोलते कुछ हैं , दिखते कुछ हैं , हैं कुछ, और करते कुछ हैं। शायद यही वजह है कि उनकी चर्चा परिषद भवन से लेकर विष्णु चाय दुकान और धन्नु पान भंडार तक में हो रही है।
हमने बोला-चाचा आप बातों को इतना ज्यादा मत घुुमाया करो। मुद्दे की बात बताओ आखिर नगर के नए साहब ने कौन सा कारनामा कर दिया है। जिससे उनकी चर्चाएं जोरो से हो रही है ? चाचा बोले―भतीजे, दरअसल नगर में साहब के आते ही उनका पेट हाथी से भी ज्यादा खाने लगा है ।उनकी आहार इतनी ज्यादा हो सकती हैै, ये कोई नहीं जानता था। वे अच्छे-अच्छे निर्माण भवन दीवारों को भी तोड़वाकर मरम्मत करवा रहे हैं। वहीं कुछ कार्य तो ऐसे हैं जो केवल कागजों में ही पूर्ण करने की तैयारी हो रही है। जो अभी तक जमीन में उतरा भी नहीं है। खैर… चाचा नगर में बिकाऊ किस्म का साहब अपनी तसरीफ कब तक ऐसे में टिका पायेगा। अब भतीजे तू ही कुछ कर …. लिख―पढ़ कुछ नया पहाड़ा। फुग्गी तो चली गयी इसी खाने के चक्कर मेें अब इसका भी कोई ठिकाना नहीं। सुना है फुग्गी के विदाई समारोह में कुर्सियां खाली-खाली थी एक्का दुक्का गिनती के ही चहेते लोग पहुँचे थे। जी आपने सही सुना है फिलहाल फुग्गी को काला पानी भेज दिया गया है। भतीजे साहब को सीखना चाहिए उनसे। वही तो कर रहे हैं। साहब भी चाचा जी।