◼️डंडाशरण का भांडा फोड़ने इंद्रदेव ने भांडेकर को किया नियुक्त….. सूरज की अर्जी… नहीं है , फर्जी……✍️ नितिन भांडेकर―
(नितिन कुमार भांडेकर : व्यंग्यकार 9589050550)
स्वर्ग लोक एवं पृथ्वी लोक में आजकल एक मसले को लेकर देवताओं में काफी उथल पुथल मची हुई है जो देवताओं से लेकर अधिकारियों तक के सर दर्द बन चुकी है। मसला कुछ ज्यादा बड़ा तो नहीं है । पर क्या करें , डंडा शरण ने अपने प्रवृत्ति के अनुसार सबके सामने अपने तथा निजी संगठन के आर्थिक स्वार्थ सिद्ध करने उसे बेवजह हवा दे रखा है जिसके चपेट में पृथ्वी वाशी और देवलोक वाशी बेवजह उलझ गए हैं ।
रुकिए……… रुकिए…….. पाठक गण यदि आप सोच रहे होंगे कि मैं भी डंडा शरण की तर्ज पर नाला खोजूंगा या किसी सड़क का बायपास सर्जरी करूँगा तो आप बिलकुल गलत सोच रहे हैं। मैं तो देवराज इंद्र के आदेश का पालन कर रहा हूँ। अब आप सब तो जानते ही हैं हमारे डंडा शरण की भागनीति को , ये अपनी चोरटल खबर की चालाकी से पिछले कुछ दिनों से सबके नाक में बेवजह उंगली कर रखे हैं।
अब आप सोचेंगे कि, फिर मैं क्यों उंगली कर रहा हूँ ? तो जनाब शुरुआत तो उन्होंने ही कि थी न…. स्वर्ग लोक में इंद्र के सिंहासन को हिलाने की ।
अब हुवा यूं कि डंडा शरण के दस्तावेज के मायाजाल से थक हार कर सूर्य देव इंद्रलोक पहुंचे जहां नारदजी चालाकी से बाद में आने का बहाना कर खिसक लिए। इंद्र देव के पास जब सूर्य देव पहुंचे एवं पृथ्वी लोक में हुए समस्त घटना का वर्णन किया। तो धर्मराज अत्यंत क्रोधित मुद्रा से बोले “मूर्ख ! एक डंडा शरण बूढ़े आदमी ने तुम्हें चकमा दे दिया.” क्या पृथ्वी लोक के निवाशी देवताओं से भी ज्यादा बुद्धिमान जीव हैं जिससे तुम हार मानकर आ गए मेरे पास। क्या सोच कर आये की इंद्र खुस होगा……।चित्रगुप्त ने कहा- “महाराज, आजकल पृथ्वी पर इस प्रकार का व्यापार बहुत चल रहा है पर हर शेर को जल्दी ही सवाशेर मिल ही जाता है।
धर्मराज ने व्यंग्य से चित्रगुप्त की ओर देखते हुए कहा – “तुम्हारी भी रिटायर होने की उमर आ गई. भला शेर को सवाशेर कैसे मिलेगा। इसी समय पीछे से घूमते-घामते नारद मुनि पहुंच गए. धर्मराज को गुमसुम बैठे देख बोले – “क्यों धर्मराज, कैसे चिन्तित बैठे हैं? क्या नरक में निवास-स्थान, सड़क निर्माण की समस्या अभी तक हल नहीं हुई?
धर्मराज ने कहा – आप कहाँ रह गए थे , खैर…….. “वह समस्या तो कब की हल हो गई है। नरक में लेटेस्ट सालों में पृथ्वी लोक के बड़े गुणी , सिंगी और नहर , कारीगर आ गए हैं. जो कई इमारतों एवं सड़कों के ठेकेदार हैं जिन्होंने पूरे पैसे लेकर पृथ्वी लोक की तर्ज पर रद्दी इमारतें तथा सड़क बनाई है। बड़े बड़े ढूंढअण्डे इंजीनियर भी आ गए हैं जिन्होंने ठेकेदारों से मिलकर प्रधान पंचवर्षीय योजनाओं का पैसा डकार दिया। एस्क्युम एमक्यूम जांच अधिकारी भी इनके ही आदमी है। यहां तक मैंने इनकी झोलझाल की जांच कल के एक्टर टोपिचंद को दिया। उसने भी निरीक्षण के नाम पर अपना उल्लू सीधा कर अपना हिस्सा लेकर अपने राजलोक वापस चल दिया। इन्होंने बहुत जल्दी ही नरक में कई सड़कछाप मार्ग और दरार वाली इमारतें तान दी हैं। पता नहीं कितने दिन टिकेगी लगता है आने वाले साल में। पेंचवर्क और e टेंडर प्लेसमेंट, सड़क निर्माण की निविदा फिर से जारी करनी पड़ेगी। खैर…. फिलहाल तो यह समस्या कुछ समय के लिए तो हल हो गई, पर एक बड़ी विकट उलझन अभी तक नहीं सुलझी है। आपको तो पता है न…..????
नारद जी अंजान बनते हुए,,,, डंडा शरण का मसला अभी तक हल नहीं हुआ देेेवराज । इंद्रदेव भी फिरकी लेते हुए……. सूर्यदेव अब पश्चिम से उदय होने की सोच रहे हैं। …… क्या करें कुछ समझ नहीं आ रहा है।???? जिसे सुन कर नारद कहते हैं आप क्यों उदास होते हैं । इसका निराकरण मैंने ढूँढ़ लिया है, पृथ्वी लोक पर एक युवक है जो साहसी तो है ही साथ ही साथ ऐसे कई डंडा शरण की बुद्धिमत्ता को परास्त करने की क्षमता रखता है। एक और बुद्धजीवी????♂️…….? इंद्रदेव आखिर लोहा लोहा को , जहर जहर को ही काटता है।????
इनके नाम सुनकर नगर में अफसरों की धड़कनें तेज हो जाती है। देवताओं में अचानक खुसुर-फुसुर होने लगा । देवर्षि क्या सच में बुद्धजीवी हमारी चिंता दूर कर सकता है। बुलाओ फिर उस बालक को , कब आएगा और क्या ये दिशा का भ्रम दूर पायेगा। निश्चिंत हो जाइए देवराज। क्या वह ज्ञानी है? उसे सौरमंडल और पृथ्वी मंडल के दस्तावेज जाल का ज्ञान है? नारद बोले मैं नगर से तथा हमारे देवलोक में व्याप्त वर्तमान फसाद की जड़ को उखाड़ फेंकने वाला एक बुद्धजीवी को लाया हूं।
देवर्षि की बात सुनकर सब सहम गए ।।।। फुसफुसाते हुए देवता कहने लगे ,एक बुद्धजीवी कम था जो मुनिवर दूसरा खतरा मोल लेकर देवलोक ला लिए। अरे आधा मुसीबत तो यही पैदा कर देते हैं। माहोल शांत करने की कोशिश करते हुए देवऋषि।।
‘भांडेकर हाज़िर हो ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️ । देवराज का इशारा पाते ही दरबान पुकार लगाता है और चश्में पहना एवरेज सा शख्स हाथ में डायरी लिए दरबार में प्रवेश करता है। इंद्र के दरबार में शक्श से परिचय और बुद्धिमत्ता की जांच शुरू हुई…
◼️आगामी अंक में आगे की व्यंग्य रचना:― पार्ट 2 अतिशीघ्र………
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