“ठन ठन की सुनो झंकार”। “ये दुनिया है काला बाजार”। ये पैसा बोलता है।
१९८९ में एक फ़िल्म रिलीज हुई थी काला बाजार जिसमें एक गाना था जिसे आमजन आज भी पसंद करते हैं । ये गीत महज एक मनोरंजन नहीं है अपितु हमारे वर्तमान जीवन की सच्चाई है। जहां आज पैसा बोलता है । इस आनन्ददायी गीत को नितिन मुकेश चंद माथुर ने गाया है। जिसके बोल कुछ इस तरह हैं। पैसा बोलता है।
मैं गोल हूँ दुनिया गोल। जो बोलू खोल दूँ सब की पोल।। ये पैसा बोलता है।।। रंग गोरा हो या काला हो। जग उसका जो पैसा वाला हो।। घपले से मिले या रिश्वत से। बनता है मुकद्दर दौलत से।। सच्चा है यहाँ कंगाल तो बेईमान है मालामाल।। ये पैसा बोलता है।।। भगवन के घर भी खोट चले। पूजा के लिए भी नोट चले।। जो चाहे करवालो धन से।हर काम बने डोनेशन से।। मिलता है उस ही को वोट। दिखाए जो वोटर को नोट।। ये पैसा बोलता है।।। ठन ठन की सुनो झंकार। ये दुनिया हैं कला बाजार।। ये पैसा बोलता है।।।
नितिन कुमार भांडेकर ( व्यंग्यकार )▪️ एक खबर आई कि आगामी माह में दीवाली की त्यौहार है । जिले सहित पूरे नगर के सभी छोटे मोटे विभाग एवं खासकर कोतवाली में त्यौहार को लेकर की जा रही वसूली काफी चर्चे में हैं। हमने पूछा – छोटू भाई धन धान्य बरस रहा है क्या सभी विभागों में ? छोटू बोले- नहीं निक्कू भाई आप तो जानते ही हो आजकल राजस्व हो या कोतवाली , इनके चौखट पे बिना चढ़ावा के कोई केस सुलझता ही नहीं , बल्कि और उल्टा उलझता ही जाता है। जितना ज्यादा चढ़ावा दोगे केस उतना ही छोटा या जल्दी निपटेगा। बिना चढ़ावा दिए समस्या का समाधान नहीं होता। छोटू भाई दीवाली में राजस्व विभाग में कुछ राजस्व हो रही है क्या ? कैसी बात करते हो निक्कू भाई जब तक किसान साहब को चढ़ावा नहीं देते तब तक साहब भी उनसे प्रीत नहीं करते न लगाते। अब आप परिषद की ही ले लो मैडम की खाने की कोई सीमा नहीं है , इन्हें जितना भी दे दो इनके लिए कम ही है। ठेकेदार मैडम को इतना खिला रहे हैं कि खुद , सुख गए हैं। पर मैडम फुग्गे की तरह दिन ब दिन फूलती जा रही है। बहरहाल आमजन हो या ठेकेदार सभी इनसे त्रस्त हैं, पर मैडम जी मस्त हैं। ऐसा ही हाल कोतवाली में भी है जबसे नए साहब का आगमन हुवा है तब से आमजन बहुत त्रस्त है। आये दिन नगर में चोरियां हो रही मानों साहब चोरों की टोली अपने संग ले आये हों। नगर की कोतवाली में आये दिन जनता को नए नए वेरियंट देखने को मिलता है। पहले सिपाही भी कोतवाल बन बैठा था। अब तो ऐसा हो गया है कि हर छोटा केस बड़ा बन जा रहा है। कोतवाली में साहब का ही राज है। साहब जान कर भी इतने अनजान बन जाते हैं कि , सिपाही भी चकरा जाते हैं। खैर 64 कलाओं में साहब के पास गाने बजाने के साथ साथ और भी एक कला है। फिलहाल सभी विभाग में बारिश की तर्ज पर धन धान्य की बारिश भी तगड़ी हो रही है। हमने पूछा – छोटू भाई जिले के मुखिया और कप्तान साहब को इसकी खबर नहीं हैं क्या ? छोटू भाई बोले- निक्कू भाई जिले के मुखिया और कप्तान साहब को सब खबर है फिर भी बेखबर बने हुए है। आखिर उनके नाक के नीचे सारी चीजें हो रही हैं और उन्हें खबर न हो ये कैसे हो सकता है। हमने पूछा- छोटू भाई ऊपर भी चढ़ावा जा रहा है क्या? छोटू भाई बोले – निक्कू भाई ऊपर चढ़ावा दिए बगैर खुल्लमखुल्ला धन धान्य लेना मुमकिन नहीं है। बड़े अफसरों को सारी जानकारी रहती हैं कौन कितना खा रहा है। अगर उनका हिस्सा नहीं मिले तो कार्रवाई हो सकती है न।इसलिए हर छोटा कर्मचारी अपना और साहब का हिस्सा साथ में लेता है। अभी सभी विभाग में जमकर वसूली अभियान चल रहा है। केस छोटा करना हो या जल्दी निपटाना हो या कुछ बड़ा करने के एवज में खूब धन धान्य बटोरा जा रहा है , नगर के साहब , मैडम द्वारा। किसान सोना चांदी व घर खेत गिरवी रखकर राजस्व , परिषद , खाकी का पेट भर रहे हैं। फिलहाल नगर में अभी सफेद पोस टाइप के जड़बुद्धि लोगों का ही जलवा है। जो सारे समस्याओं का समाधान बेवजह आलाकमान को इस्तीफा देने की गीदड़ धमकी दे दे कर अपने चमचों को इक्कट्ठा करके अपनी जेब भरके सुलझा रहे हैं।।
वाकई में, पैसा बोलता है।।