गिरगिट की तरह रंग बदलने में नेताओं ने गिरगिट को भी पीछे छोड़ा , पार्टी छोड़ने शामिल होने में हो रहा है मनचाहा सेटिंग चाहे केंद्र की राजनीति हो या छत्तीसगढ़ की , चाहे नगर पंचायत की…….
हेमंत वर्मा एक्सक्लूसिव राजनांदगांव। अक्सर खबरें आती है की इस पार्टी के वरिष्ठ नेता ने उस पार्टी में शामिल होकर फला पद प्राप्त किया असल में दलबदल नेताओं का वह हथियार होता है जिसमें वह मनचाहा फल की प्राप्ति कर सकता है चाहे वह केंद्र की राजनीति हो चाहे छत्तीसगढ़ की राजनीति छत्तीसगढ़ की राजनीति में छत्तीसगढ़ के ही कद्दावर आदिवासी नेता नंदकुमार साय का नाम राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहता है अविभाजित मध्य प्रदेश में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहे चार बार के सांसद केंद्र सरकार में राष्ट्रीय जनजाति आयोग अध्यक्ष मंत्री रहे नंदकुमार साय पार्टी को यह कह कर अलविदा कह दिया कि उन्हें भी मुख्यमंत्री बनना था लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई पार्टी में शामिल हो गए सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार साय को पीसीसी का अध्यक्ष बनाए जाने के चर्चे थे परंतु पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के विरोध के कारण उन्हें लाभ के पद औद्योगिक विकास निगम का अध्यक्ष कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया इसी तरह छत्तीसकढ़ में ढाई ढाई साल के फार्मूले में दूसरे नंबर के मुख्यमंत्री टीएससिह देव देखो डिप्टी सीएम बना कर कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया कि ढाई ढाई साल का करार हुआ था इसके पहले भी हमने लिखा था कि टीएससिह देव की चुप्पी क्या गुल खिला रही है असल में इस कहानी की स्क्रिप्ट हिमाचल प्रदेश चुनाव के कैंपेन के दौरान लिख दिया गया था कि अब बाबा को कैसे भी करके पार्टी में मैनेज करना है चुनावी वर्ष में कहीं बाबा नाराज हो गए पार्टी के अंदर खाने की बात खुलकर कर सामने आ जाएगी जिससे कांग्रेश की जगहसाई हो जाएगी बाबा देखो 2 महीने के लिए डिप्टी सीएम बनाया गया है देखने वाली बात यह है कि ढाई ढाई साल की एग्रीमेंट में ढाई महीने के डिप्टी सीएम बनकर कांग्रेसी बाबा समर्थकों को कितना साधती है बाबा के डिप्टी सीएम बनते ही राजनांदगांव जिले की एक विवादित महिला विधायक की बांछें खिल गई है उनके खास समर्थकों में से मानी जाती है हालांकि आंतरिक सर्वे में उनका नाम परफॉर्मेंस पब्लिक प्लेस में घटिया रिपोर्ट है इसके बावजूद वह अति उत्साहित नजर आ रही है हाल ही में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता पार्टी के संस्थापकों में से एक प्रफुल्ल पटेल जिन्होंने शरद पवार को छोड़कर अजीत पवार के साथ हाथ मिला लिया है मोदी सरकार उन्हें बड़ा तोहफा देने वाली है आने वाले समय में मोदी कैबिनेट में प्रफुल्ल पटेल के शामिल होने की कयास लगाए जा रहे हैं और यह लगभग तय भी है क्योंकि आजकल ट्रेंड चल रहा है तुम मेरे लिए कुछ करो मैं तुम्हारे लिए जरूर कुछ करूंगा इसके पहले मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य के बगावती तेवर ने कमलनाथ सरकार गिरा दी थी बदले में ज्योतिरादित्य को केंद्र में दमदार पद नागरिक उड्डयन मंत्री का मिला लेकिन सवाल यह है कि तत्कालीन यूपीए सरकार में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के तौर पर प्रफुल पटेल पर करोड़ों के भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं ना खाऊंगा ना खाने दूंगा मोदी सरकार भ्रष्टाचार के आरोपी को केंद्र में मंत्री बनाने लगे मोदी सरकार की विश्वसनीयता खतरे में आ रही है अब बात कर लेते हैं क्षेत्रीय राजनीति राजनांदगांव जिले के छुरियां नगर पंचायत अध्यक्ष को कांग्रेश के हीं कुछ पार्षद और बागियों ने मिलकर अविश्वास प्रस्ताव में पद से हटा दिया बताया जा रहा है कि इस मामले में क्षेत्रीय विधायक की भूमिका संदिग्ध है कुल मिलाकर जब कोई राजनीतिक घटनाक्रम घटती है दलबदल होती है तो यह मानकर चलें इस घटना को करवाने में शामिल लोगों को मनचाहा फल की प्राप्ति होती है भारत में राजनीति झूठ बोलने चोरी करने की नीति उसे बोलते हैं राजनीति हेमंत वर्मा की कलम से………