*◼️खैरागढ़ के चहेते ठेकेदारों को कम रेट पर टेंडर देने की तैयारी (नगरपालिका टेंडर,)* *टेंडर प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए छत्तीशगढ़ सरकार कितने भी प्रयास क्यों न कर ले किंतु नगर पालिका खैरागढ़ सारे जतन को फेल कर धन की बंदर बांट करने में अव्वल है।*
खैरागढ़ नगर परिषद:। टेंडर प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए सरकार कितने भी प्रयास क्यों न कर ले किंतु नगर पालिका खैरागढ़ सारे जतन को फेल कर धन की बंदर बांट करने में अव्वल है। ऐसा लाखों की टेंडर प्रक्रिया में देखने को मिला है।
प्लेसमेंट कार्यों के सापेक्ष आनलाइन निविदाएं नगर पालिका द्वारा आमंत्रित की गईं थीं। जिसके सापेक्ष अधिकारियों ने अपने चहेते ठेकेदारों को टेंडर देने के मंशा से जारी निविदा आमंत्रण के बाद से सबंधित पोर्टल पर टेंडर का लिंक बन्द पड़ा है जो आज दिनांक तक है। कारण उक्त निविदा पर इनके चहेते ठेकेदारों के अलावा कोई दूसरा न ऑनलाइन फॉर्म न भर सके। सूत्रों की माने तो 25 से 30 प्रतिशत पर अबौव या बिलो में देने की तैयारी । जिसके एवज में अच्छी वसूली भी किये जाने के संकेत मिले हैं।
नगर पालिका परिषद खैरागढ़ द्वारा प्लेसमेंट कार्य हेतु के लिए निविदाएं आमंत्रित की गईं थीं। जिस अखबार में निविदा की विज्ञापन लागाई गयी थी प्रकाशन के उस दिन वह अखबार नगर में बटी तक नहीं। इससे यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसके पीछे किन रशुखदारों का हाथ हो सकता है।
जिस पर शासनादेश के अनुसार नगरपालिका के समस्त ठेकेदार निविदा में भाग ले सकते थे। लेकिन यह महज एक दिखावा था। इसकी आड़ में नगर पालिका में टेंडर मैनेज का खेल खेला जा रहा है और मोटी रकम अधिकारियों को देकर विभागीय दर पर निविदा आसानी से प्राप्त कर ली जाए।
इससे जहां एक ओर कार्यों पर अधिक सरकारी धन का व्यय हो सकता है। वहीं दूसरी तरफ यहां के अधिकारियों के भी पास अच्छा खासा चढ़ावा पहुँच गया होगा।
चहेते ठेकेदारों द्वारा दिए जा रहे टेंडर
निविदा मैनेज न होने की दशा में निविदा 20 फीसदी से कम दर पर कार्यदायी संस्थाओं द्वारा डाली जाती। जो को इस निविदा के पूर्व हुई निविदा में देखा जा सकता है। मैनेजमेंट के खेल में सरकारी धन कर दुरुपयोग कैसा हो रहा है। ये अब आप आगे देख सकते हैं।
ऐसे में जब सूबे के नगरीयमंत्री निविदा किसी भी दशा में निरस्त ना करते हुए कम दर की निविदाओं पर कार्य कराने को प्राथमिकता देते हैं तो उसके विपरीत नगर पालिका अपने निजी हितों को पूरा करने के लिए चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से कार्य करती दिख रही है।
ठेकेदार को पहले कार्यालय में बुलाकर कार्यों के सापेक्ष तीन प्रतिशत की मांग की जाती है। जिसको पूरा करने की असमर्थता जताते हुए जब ठेकेदार ने कहा कि 10 फीसदी कॉन्ट्रेक्ट्स लाभ निविदा में जुड़ा होता है। और 7 से 8 फीसदी कम दर पर उसने टेण्डर डालने की बात कही । तो यह डिमांड कहां से पूरा की जा सकती है।
पूर्व के एक निविदा के मामले से जुड़ी जानकारी के सबन्ध में एक ठेकेदार द्वारा अपना नाम खबर में नहीं छापने पर बताया गया कि टेण्डर डालने के बाद जब मूल कॉपी कार्यालय में जमा कराने गया, तो वहां पर उसे रोका गया। जिसके 2 दिन बाद पुनः कार्यालय में मूल अभिलेख और निविदा शुल्क के अलावा जमानत धनराशि जमा करके इसकी सूचना अधिशाषी अधिकारी नगर पालिका को भी दी थी। जिस पर उन्होंने पुनः 3 फीसदी की मांग पूर्ण करने पर ही विचार करने को कहा।
शासनादेश के अनुसार निविदा खोले जाने के बाद ही हार्ड कॉपी जमा कराया जाता है। मगर सूत्रों की माने तो नगर पालिका प्रशासन ने उक्त निविदा की हर जुगत अपनाते हुए निविदा खोले जाने के पूर्व ही ठेकेदार से हार्ड कॉपी जमा करवा लिया है। इस सम्बन्ध में जब नगरपालिका सी एमओ से बात करने का प्रयास किया गया तो काफी प्रयास के बाद भी उनसे सम्पर्क नही किया जा सका।