▪️ विक्रांत सिंह का वर्चस्व है कायम। कार्यकर्ताओं के दम पर जीत रहे हर चुनाव।
▪️ आखिर क्यों हैं जनता में इतने लोकप्रिय।
खैरागढ़। खैरागढ़ विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी से दमदारी के साथ पार्टी का नेतृत्व करने वाले लोकप्रिय चेहरे की यदि बात करें तो हमें यहाँ सिर्फ एक ही नाम सुनने को मिलता है। जी हाँ….. नगर में विक्रांत सिंह का नाम, एक ऐसा नाम है जो यहाँ किसी के परिचय का मोहताज नहीं है। ग्रामीण सुदुरवनांचल हो या शहरी क्षेत्र हो , यहाँ की आमजनताओं में तथा खासतौर पर युवाओं , बुजुर्गों के जुबान पर इनका ही नाम है जहां पर इनके कार्यों की ही चर्चे हैं । जो हमें वर्तमान में देखने एवं सुनने को मिल रहा है। अब आप भी सोच रहे होंगे कि पूरे विधानसभा में इनकी इतनी लोकप्रियता कैसे है? तो हम अपने पाठकों को बताना चाहेंगे कि विक्रांत सिंह ने अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुवात भाजपा पार्टी में रहकर अपने एवं पार्टी के कार्यकर्ताओं के दम पर आम जन में पैठ बनाते हुए निरन्तर सक्रिय रहकर अपनी राजनीति की शुरूवात की है। मतलब… साफ है कि छात्र जीवन में ही इन्होंने राजनीति के सभी तौर तरीके अपनाकर राजनीतिक जीवन की शुरुवात कर दी थी। समय बीतता चला गया। इनके जीवन में कई तरह के उतार चढ़ाव आने के बाउजूद भी विक्रांत सिंह न तो निराश हुए , न ही थके, और न ही रुके । निरन्तर अपने पथ पर चलते रहे। नतीजन ये हुवा की भारतीय जनता पार्टी में इन्होंने युवा मोर्चा का भी नेतृत्व किया साथ ही पार्टी में अन्य पदों पर पदस्थ रहे।
पार्टी के प्रति सदैव निष्ठावान एवं समर्पित रहने के चलते इन्होंने अपने पार्टी के बैनर से चुनाव लड़ते हुए पहली पाली में खैरागढ़ जनपद अध्यक्ष बने, तो दूसरी पाली खेलते हुए खैरागढ़ नगर पालिका में भी कब्जा करते हुए यहाँ के अध्यक्ष बने। वर्तमान में जब काँग्रेस की छत्तीसगढ़ में सत्ता सरकार है ऐसे में इन्होंने लंबी पारी एवं तीसरी पाली खेलते हुए वर्तमान में राजनांदगांव जिला पंचायत में अब जिला पंचायत उपाध्यक्ष के पद पर आसीन हैं। साथ ही प्रदेश भाजपा पार्टी से कार्यसमिति के सदस्य भी हैं। छात्र जीवन में भी युवा छात्र नेता बनकर युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय नेता बनकर उभरते हुए अपनी पकड़ युवओं में बनाया एवं इनका नेतृत्व किया। जो युवा आजतक इनके कट्टर समर्थक के रुप में इनके पक्ष में देखे जा सकते हैं।
यह सब मुमकिन इनका हंस मुख चेहरा , बेहतर रणनीति, के साथ प्रभावित कर देने वाला वक्तत्व है। जिसके कारण इनके पीछे सैकड़ों हजारों कार्यकताओं का विशाल जन समूह पीछे चलता है।
राज्य में कांग्रेस की सत्ता सरकार रहने के बाउजूद विक्रांत सिंह के सानिध्य में दिन ब दिन भाजपा पार्टी में युवाओं, सहित आमजन का पार्टी में प्रवेश कर सदस्यता ग्रहण करना इनकी लोकप्रियता को प्रदर्शित करता है। यही वजह है कि यहाँ के सैकड़ों लोग भाजपा पार्टी में प्रवेश कर चुके हैं। विक्रांत सिंह आज एक दमदार चेहरा है। और हों भी भला क्यों न , जिन्होंने अन्याय के खिलाफ हमेशा आवाज उठाई हो। ये इतने सरल एवं सहज हैं की, चाहे छोटा हो या बड़ा , इनके द्वारा सदैव सबको समान रूप से आदर और सम्मान दिया जाता है।
अक्सर विक्रांत सिंह को अक्सर बुजुर्गों को गले लगाते या ज़मीन में बैठकर भोजन करते उनके सुख दुःख में शामिल होकर समस्याओं को सुनते देखा जा सकता है। इनका नाम आमजन में इतना काफी शुमार है की , किसी के परिचय का आज ये मोहताज नहीं है।।
खैर… कुछ ही दिनों में खैरागढ़ विधानसभा में उपचुनाव होने की घोषणा के साथ आचार सहिंता लगने वाली है। हम सीधे बात करते हैं खैरागढ़ से दो बड़े नामचीन चेहरों की जिनमें एक नाम विक्रांत सिंह का भी है। जिनकी खैरागढ़ विधानसभा में प्रत्यासी हेतु जोरों से नगर सहित खैरागढ़ विधानसभा में दावेदारी कीये जाने की चर्चा है। वहीं दूसरा नाम खैरागढ़ विधानसभा से चुनाव में लगातार दो बार हार चुके भाजपा पार्टी के रमन सरकार में एक बार के पूर्व विधायक रहे कोमल जंघेल का नाम है । इनके द्वारा इस क्षेत्र में लोधी बाहुल्य होने के बाउजूद भी ये अपनी मजबूत पकड़ ज्यादा नहीं बना पाए और यही वजह है कि पूर्व में गिरवर जंघेल(पूर्व विधायक) एवं दिवंगत विधायक देवव्रत सिंह से परास्त होते हुए पराजय का मुख देखना पड़ा। विधानसभा उपचुनाव समीप है ऐसे में अब इनका नाम भी उछला है। हम आपको बता दें कि ये इनकी आखरी पारी हो सकती है। दोनों पार्टी में से कोई भी जीते। जो जीतेगा वह ठीक डेढ़ वर्ष बाद होने वाले आम चुनाव में प्रमुख चेहरा होगा। जो दोनों पार्टियों की राजनीतिक समीकरण में उलट फेर कर सकती है। फिलहाल यह सोचनीय एवं तारीफे-काबिल है कि प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सत्ता सरकार है जिसके बाउजूद खैरागढ़ में कांग्रेस पार्टी के द्वारा बड़ी मुश्किल से सिर्फ 10 सीट ही ला पाई है।
वहीं जनपद सदस्य के उपचुनाव में भाजपा के शैलेन्द्र मिश्रा ने एकतरफा भारी मत पाकर चुनाव में जीत हाशिल करते हुए विक्रांत सिंह का कद और बड़ा दिया है। खैरागढ़ जनपद में कांग्रेसी दल का कब्जा है जिसके बाउजूद पुनः शैलेन्द्र मिश्रा ने सभापति के पद के चुनाव में विक्रांत सिंह के मार्गदर्शन में कब्जा जमा लिया। हद तब हो गयी साहब जब गत दिन तहसील में साहू समाज के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के चुनाव में भी भाजपा पार्टी के सदस्यों ने अपने समाज के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के पद में बाजी मार दी। गिरधारी साहू एवं नूनकरण साहू अपने समाज के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के पद पर आसीन हो गए। इससे तो यही पता चलता है कि कांग्रेस पार्टी खैरागढ़ विधानसभा में कितना मजबूत है और भाजपा के विक्रांत सिंह की पकड़ कितनी मजबूत है।