खैरागढ़ शहर और ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष इधर साइकिल बांटते रहे उधर जनपद पंचायत में भाजपा ने सभापति के पद पर कब्जा कर लिया।
▪️आलोचना―
खैरागढ़। खैरागढ़ नगर रोजाना किसी न किसी वजह से चर्चा में रहती है। खासतौर पे यहाँ की सियासती चक्कलसों की अगर बात करें तो इसके चरचे नगर से लेकर राजधानी तक के सुर्खियों में रहती है। ऐसा ही एक और चर्चा का विषय हमें आज मिला है जिसे हम आप सबसे साझा कर रहे हैं। बस आप भितरघात करने वालों को ढूंढिये। तो हम बात कर रहे हैं यहाँ के शहर और ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष की जो घूम घूम कर शासन की योजना अन्तर्गत दी जाने वाली स्कूल छत्राओं को साइकिल बांट रहे थे। मतलब शरीक होकर सरकार की उपलब्धता को बता रहे हैं। वहीं स्कूली आयोजन में शामिल होने की खबर अखबारों में हमें अलग अलग पोज में खिंचवाए गए फ़ोटो के साथ देखने को भी मिल रहा है। उधर खैरागढ़ जनपद पंचायत में भाजपा पार्टी के एक नवनियुक्त जनपद सदस्य शैलेन्द्र मिश्रा ने खैरागढ़ जनपद पंचायत में रिक्त सभापति के पद पर अपनी बेहतर चाणक्य रणनीति के चलते चक्रव्यूह को भेदते हुए तीन चरण में हुए सभापति पद के चुनाव में बाजी मार दिया है। आपको बता दें कि शैलेन्द्र मिश्रा ने अपनी सूझबूझ से जनपद खैरागढ़ में सत्ता पक्ष के प्रत्याशि को करारा जवाब दिया है। ये हार प्रत्यासी की नहीं वरन नगर के कांग्रेस पार्टी की संगठन की है जो बहुमत के बाद भी सभापती के पद पर कब्जा नहीं कर पाई। खैर… मुझे तो ये कुछ हजम नहीं हुवा। शायद कांग्रेस पार्टी के आलाकमान को जरूर हो जाये। जिस जनपद में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष कांग्रेस पार्टी के हों, जिसके बाउजूद भी विपक्ष पार्टी का जनपद सदस्य सभापति बन जाना। सोचनीय है! अब ये भी हो सकता है मतदान तो गुप्त रहता है । इससे तो यही सिद्ध होता है कि “”घर का भेदी लंका ढाये”” …. बाकी आप समझदार हैं। भावनाओं को समझो मेरी। विपक्ष ने कितना माथापच्ची किया होगा।
ईधर हमारे नगर के शहर अध्यक्ष , ग्रामीण अध्यक्ष , पूर्व विधयाक , एवं कांग्रेस के तथाकथित पार्षद गण नगर में साइकिल बांटते फिर रहे हैं । ऐसा लगता है मानो इन्हें कुछ पता ही नहीं है। वाह …..क्या बात है। हम अपने पाठकों को बता दें कि भाजपा पार्टी के युवा ऊर्जावान जनपद सदस्य शैलेन्द्र मिश्रा अभी हाल ही में हुए कुछ ही सप्ताह पूर्व जनपद सदस्य के उपचुनाव में एकतरफा जीत हाशिल करते हुए खैरागढ़ में भाजपा का डंका बजवा दिया था। अब पुनः मिश्रा ने जनपद उपचुनाव के बाद जनपद के सभापति चुनाव में भी कांग्रेश पार्टी के प्रत्याशी को हरा कर अपने पार्टी को मजबूती प्रदान करते हुए बीजेपी की तूती बजवा दि है। उपचुनाव में भी काफी मतों के अंतराल से कांग्रेस के प्रत्याशी को मिश्रा के द्वारा शिकस्त दिया गया था। जाहिर है इससे तो यही लगता है कि नगर में भाजपा पार्टी ने अपना दमखम आखिरकार दिखा ही दिया। जबकि नगर पालिका से लेकर राज्य में कांग्रेस पार्टी की सरकार है। यहाँ पर जातिकार्ड भी पार्टी के काम नहीं आई। अब मैं क्या कहूँ , यदि ऐसा ही हाल चलता रहा तो आगामी होने वाले विधानसभा के उपचुनाव में पार्टी को शायद हार का मुख न देखना पड़ जाए। जिससे पार्टी का नगर से पूरा का पूरा बण्ठा ही धार न हो जाए। एक तरफ जिनके दम पर ये नगर पालिका में कब्जा किये हैं उन्हें ये पचा नहीं पा रहे हैं। वो तो भला हो उस बैलेट पेपर का जो!… वरना पता नहीं कितने सीटों में सिमट जाती पालिका की सीट। खैर… ईवीएम से यदि चुनाव होता तो आप सबको पता है कि नगर में कौन कब्जा कर के बैठता । “” मेरी भावनाओं को समझो””……..
ऐसे हुवा भितरघात , मिश्रा ने भेदी इनकी चुनावी रणनीति―
(1) शिक्षा विभाग समिति के सदस्य के लिए चुनाव में 10-14 से जीत मिली । (2) वन एवं प्रौद्योगिकी विभाग में स्थाई समिति सदस्य 9-15 से जीत मिली। (3) सहकारिता एवं उद्योग विभाग में 11-13 से जीत प्राप्त हुई । उसके बाद सहकारिता एवं उद्योग विभाग सभापति में निर्विरोध निर्वाचित हो गए। अब इससे आप जनता क्या समझे ? मतलब साफ है कि खैरागढ़ में संगठन कमजोर है। जिसे वख्त रहते सुधार करते हुये मजबूत कर लेना चाहिए। खैर…हमारी यहाँ कौन सुनने वाला है। बधाई हो मिश्रा जी आपको।