
*▪️क्या विपक्ष को घेरने नगर में सत्तापक्ष की बड़ी उत्तम साज़िश है…?*
संपादक : नीतिन कुमार भांडेकर*
✍️नगरीय स्तर की कूटनीति जिस प्रकार से अपने पैर नगर में पसार रही है वह पूरी तरह से संकेत दे रही है कि इसके पीछे का मकसद क्या है। क्योंकि जिस प्रकार से शतरंज की गोट बिछाई जा रही है वह पूरी तरह से स्पष्ट संदेश दे रही है। क्योंकि नगर की कूटनीति में शतरंज के घोड़े की ढ़ाई घर की चाल बिलकुल साफ संदेश देती हुई दिखाई दे रही है , कि आने वाले समय में जब सियासती ताश के पत्ते खुलेंगे तो उन पत्तों की बिसात तथा रूप रेखा क्या होगी…? यह बिलकुल साफ दर्पण की भाँति दिखाई दे रहा है। क्योंकि जिस प्रकार से सत्ता पक्ष के द्वारा नगर में अचानक से उत्तम सर्वोत्तम चेहरे का अचानक नाजु के माध्यम से उदय कर अन्य को शांत बिठा दिया जाना। जो दाऊ द्वारा सांकेतिक फैसला लिया गया है । विपक्ष के द्वारा जिस रणनीति के साथ नगर को फिर से उसी अतीत के अंधेरे में झोंका जा रहा है जहाँ वह पिछले दशकों में जिले की आशा लेकर जीने के लिए मजबूर थे। तो क्या यह मान लिया जाए कि यह सब जो हो रहा है वह सत्तापक्ष को कमजोर करने की साजिश है। या नाजु की उभरती सेना को दबाने का प्रयाश हैं । नाजु ने नगर के विकाश तथा हिटलरशाही से मुक्ति के लिए अपने बलबूते पर एक अतिउत्तम चेहरा ढूंढ लिया है जो अब विपक्ष को राश नहीं आ रहा है जो सर्वगुण संम्पन्न है।
खैर… ये तो वक्त ही तय करेगा। यह कोई साधारण तर्क नहीं है इसके अनेक पहलू एवं तर्क हैं। नगर के सत्तापक्ष के युवा विपक्ष के दल पर जिसकदर नाक में दम कर रखी है जिसे अब देख कर ऐसा लगता है कि विपक्ष अब कदापि भी सत्तापक्ष पर हावी नहीं हो सकता। ये तो स्प्ष्ट है। इसका मुख्य कारण है एवं अच्छा उदाहरण , नाजु का नगर में हस्तक्षेप कर नगर में आगमन करना । नाजु के पास अपने समर्थकों की लंबी सेना के साथ साथ सत्ता सरकार के मुखिया का विश्वास पात्र होने का पुख्ता प्रमाण पत्र है। जो कि फिलहलाल नगर के अन्य सत्तापक्ष के नुमाइंदों के पास नहीं है। अगर नाजु सेना अपनी एकता और करीबिपन की क्षमता का प्रयोग करती है तो नगर के विपक्ष के साथ साथ स्वंय के रूढ़िवादी पुराने लड़ाके नगर में परिषद की कुर्शी पर कब्जा करने से सत्ता पक्ष को कदापि नहीं रोक सकते। लेकिन ऐसा करने का कारण भी बहुतेरे सवालों को अब जन्म देता है जिसमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि सत्तापक्ष के अंदर भी तालिबानी तर्ज पर भितरघातियों विपक्ष के कुछ लोगों की सरपरस्ती अपने पैर जमा चुकी है।
वर्तमान में जहां विपक्ष नगर में स्वयं ही दो धड़ों में बंट चुकी है। जोकि एक बहुत बड़ी साजिश को जन्म देते हुए दिखाई दे रहा है। इसके तार कहीं दूर से जुड़े हुए हैं। तो फिर सवाल उठता है कि आखिर इसके पीछे कौन है…?
इसके लिए हमें उस अतीत की ओर झाँकना पड़ेगा जहाँ नगर को कुर्शी की लालच में मामा और भांजे ने झोंक दिया था। जब तक यहां के नगरवाशि अतीत की ओर झांककर नहीं देखेंगे तब तक साफ तस्वीर उभरकर सामने नहीं आएगी कि इसके पीछे का मकसद क्या है। साथ ही नगर से कुछ वार्डों के साथ कुछ चेहरों को इतनी घृणा क्यों है। साथ ही नगर की नगरीय स्तर पर पक्ष और विपक्ष की दोस्ती और दुश्मनी को भी गंभीरता पूर्वक समझना पड़ेगा। जब तक नगर के अतीत से लेकर वर्तमान तक के पन्नों को नहीं पलटा जाएगा तस्वीर साफ नहीं हो सकती।
सबसे पहले हमें पिछले 15 साल की ओर झाँककर देखना होगा। नगर सहित राज्य में जब विपक्ष के मामा भांजे नामक लड़ाकों के द्वारा लड़ाई लड़ा गया । अपनी कूटनीति चल के चलते सत्ता पर आसीन हो गए । जहां नगर में गृहयुद्ध का माहौल बन गया था। नगर की अवाम पहले भी भांजे की ताक़त और सत्ता का तख्तापलट करना चाहता था। जिसमें नगर ने रणनीति बनाकर कार्य योजना तैयार किया था। जिसमें पक्ष और विपक्ष के घुसपैठियों को दोनों दल के साथ एक दूसरे का समर्थन प्राप्त था। इस रणनीति में सत्ता पक्ष पूरी तरह से लगी हुई थी साथ में पिछलग्गू भितरघातियों ने भी अपने हित साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जहाँ नगर में सत्ता पक्ष ने विपक्ष को हरा कर मैदान छोड़कर भागने पर मजबूर कर दिया। किंतु एक कुर्शी पर कब्जा जरूर भितरघातियों के सहयोग से कर लिया गया। इसमें खास बात यह थी कि सत्ता पक्ष के लोगों ने ही विपक्ष के लोगों को राजनीतिक युद्ध का प्रशिक्षण दिया था। जिसके लिए पक्ष विपक्ष के वर्तमान क्षेत्रीय नेता भी जिम्मेदार है। जिससे दुश्मनी की आग में धधकता हुआ पक्ष विपक्ष एक दूसरे से सदैव ही विरोधी बना रहा।
वर्तमान समय की तस्वीर तथा ताजा घटना क्रम से साफ और स्पष्ट हो जाती है। वह यह कि नगर में नाजु के दूत हैं जो आगामी परिषद चुनाव वर्तमान शासनकाल के लिए अति उत्तम करके ज्यादा सुरक्षित बना देंगे। वर्तमान समय में नगर की स्थिति शांत और पहले से ज्यादा गरम है जो सत्ता पक्ष के लिए अच्छी है। मामा भांजे के शासनकाल में विकास शून्य पर था और अव्यवस्था अपने चरम पर थी। शासन में लोगों ने उम्मीद खो दी थी लेकिन वर्तमान सत्ता पक्ष के शासन काल में सब कुछ अच्छा हो रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि नगर पक्ष विपक्ष अपने हितों को साधना चाहता है।
नाजु समूह को नगर में उभरते हुए एक बड़ी खेमें के रूप में देखा जा रहा है। जिसे विपक्ष तालिबानी बताने का प्रयास कर रहा है। जो इनकी सबसे बड़ी गलतफहमी और ईर्ष्या को स्प्ष्ट कर रहा है।
जिसके कारण अब पक्ष विपक्ष का बार बार प्रेस विज्ञप्ति जारी करना जहाँ पर एक दूसरे को दोषी ठहराया जा रहा है। जिससे पूरी स्थिति साफ हो जाती है कि भविष्य में किस योजना के आधार पर कार्य हो रहा और इसका क्या रूप एवं रंग होगा। नाजु समूह खुले रूप से लगातार नगर में नए उभरते चेहरे का पक्ष ले रहा है। सत्तापक्ष के हर वार पर जहाँ पर विपक्ष अपनी हार को अब पचा नहीं पा रहा है। जिससे अपना आपा खो बैठा है। विपक्ष ने सत्तापक्ष के प्रति गहरी साजिश को गढ़ना शूरू कर दिया है। जिसका परिणाम यह हुआ कि नाजु सेना ने कुछ ही महीनों के आक्रमक रणनीति के बाद से अब विपक्ष को जड़ से उखाड़ फेंकने अब कमर कस ली है। इसके बाद नगर में जो भविष्य में होगा वह नगर के लिए इतिहास होगा है।
बहुत जल्द सत्तापक्ष के नगरीय क्षेत्रीय सदस्यों की आपसी सहमति के साथ अब सामंजस्य बनाने के लिए ऐसी परिस्थितियों का निर्माण होने वाला है जो अलग थलग रहने वाले सदस्यों को खुद से नाजु समूह के करीब जाकर बात करने पर मजबूर कर देगी। नगरीय राजनीति के खुफिया तंत्रों के मुताबिक नाजु सेना ने बयान जारी करके कहा है कि विपक्ष ने अपने संपूर्ण कार्यकाल में अपने करीबियों , रिश्तेदारों , को ही कुर्शी पर पद देकर बिठाया है। उन्होंने यह भी कहा है कि दोनों मामा भांजे ने राज्य सहित नगर में भूमाफियां का किरदार निभाया है । जिसके चलते अपनी संपत्ति को वर्तमान में अथाह समंदर की तरह कर लिया है। जानकारों का मानना है कि विपक्ष इसके लिए अपने केंद्रप्रभाव का इस्तेमाल भी कर सकता है।
इन सभी तथ्यों को समझने के बाद अब तस्वीर साफ हो जाती है कि नगर स्तर पर पक्ष विपक्ष अब एक दूसरे को घेरने हेतु बड़ी गुटबाजी कर एक दूसरे के खेमों में आग लगाने की साजिश रच सकती है। क्योंकि नगर की कुर्शी पर दोनों को बहुत ही मोह है। जिसके लिए नगरीय स्तर पर तीसरे खेमें के साथ मिलकर नगर में परिषद चुनाव पर कुर्शी हथियाने का पुरजोर कोशिश की जाएगी। सत्ता पक्ष के साथ तीसरे विपक्ष दल के जनप्रतिनिधि का जुड़ाव जगजाहिर है जिसे नगर में नकारा नहीं जा सकता। जिसका हस्तक्षेप सत्तापक्ष के दोनों खेमें को नगवार है।
अतः यह संदेश पूरी तरह से साफ है कि आगामी नगरीय चुनाव एवं विधान सभा चुनाव में तख्तापलटकर अपना मुखौटा बैठाने की साजिश में कई चेहरे पक्ष विपक्ष के दलों में शामिल होंगे, जोकि अपना हित साधना अवश्य चाहगें । जिसमें पक्ष के वर्तमान दोनो खेमें एवं विपक्ष के दोनों खेमें के सदस्य मुख्य भूमिका में रहेंगे। जिस पर नाजु एवं दाऊ जी को अपनी नजर बारीकी के साथ जमाए रखने की जरूरत होगी। क्योंकि तीसरा दल और विपक्ष की रणनिति सत्तापक्ष के विरुद्ध किसी से भी छिपी हुई नहीं है। इसलिए इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि विरोधियों के द्वारा नगर के हित हेतु किसी भी प्रकार का सत्तापक्ष को सहयोग दिया जाएगा। अपितु इसके ठीक उलट स्थिति की झलक दिखाई टिकट वितरण बाद दोनों दलों में दिखाई देगी जो पक्ष विपक्ष की आगे की सियासती रणनीति को दिशा देते हुए तय करेगी। इसलिए नगर को अपने हित को ध्यान में रखते हुए जरूरी कदम उठाने की अति आवश्यकता है। यदि विपक्ष ने अपनी जड़े मजबूत कर लीं और सत्ता पर पुनः काबिज हो गया तो नगर के भविष्य के लिए ठीक नहीं होगा।