
व्यंग्य : बिजली गुल रौशनी गई भूल ।
स्वप्न व्यंग्य :―
सावन लगते ही मेघों ने बारिश की बौछार शुरू कर दी वहीं बारिश की बरसात में बिजली वालों ने भी अपना रंग बदल लिया। आज सुबह जब अपने कार्यलय पहुंचा तो देखा कि रोशनी देवी की प्रकाश निरन्तर ट्रिप कर रही थी। फिर क्या था हमने भी नगर के हेलीकॉप्टर नुमा ऊंची बिल्डिंग में रहने वाले अपने एक करीबी को दूरसंचार यंत्र से संपर्क साध लिया। उनसे जब पूछा कि भईय्या आपके यहाँ बिजली है क्या ? मुस्कुराते हुए बोले पहले काम करती थी अब पता नहीं कहाँ काम रही है। व्यंग्यकार हूँ न इसलिए अब अपने भी छींटा कसी करने से बाज नहीं आते हमसे , खैर…उन्होंने मेरी खिल्ली उड़ाते हुए कहा बिजली बंद है क्या छोटे। वैसे हमारे यहाँ तो इन्वर्टर लगा है इस वजह से पता ही नहीं चलता कि बिजली की बत्ती कब गुल हुई और कब रोशनी आई । झुंझला कर हमने फोन रख दिया।
दोपहर का वख्त था कि बार बार बिजली गुल हो रही थी। मैं भी कुछ लिखने बैठा ही था कि रश्मि कॉलोनी की रोशनी देवी हमें फोन करके पूछती है , भैय्या आपके यहाँ भी बिजली गुल है क्या? शायद बिजली गुल होते ही रोशनी देवी की दोपहर की घोर निद्रा टूट गयी हो। खैर…
कह रही थी..भईय्या भरे दोपहर के इस अँधियाले में मैंने बमुश्किल से इधर-उधर हाथ घुमाया तब जाकर टॉर्च ढूंढने पर मुझे मिला है । ऊपर से झमाझम बारिश भी हो रही है। रोशनी देवी की बातें सुनकर मै , तो सोचने लग गया की, क्या वक़्त आ गया है। अब रोशनी को भी अंधेरे में टॉर्च ढूंढनी पड़ रही है। खैर… उनकी बातें सुनकर मैं थोड़ा हस पड़ा । मगर यह व्यवस्था की चरम अवस्था थी, जिसमें ऐसा होना कुछ ग़लत नहीं था।
ऐसा लगता है मानो टॉर्च जलाते ही शायद उनकी दिमाग की बत्ती जल गयी हो। उन्होने तो पहले मेरी खिंचाई करते हुये मुझे ही खरी खोटी सुना डाली जिसके बाद मुझसे बिजली के देवी जी का नंबर मांग डाला। परेशान तो हम भी थे सोचा इनसे शायद कुछ हल निकल सके। सो हमने भी नम्बर देने की हिमाकत करने की सोच ली।
आखिर में उनकी बकबक सुनते सुनते जब बर्दास्त से बाहर होने लगी तो हमने भी उन्हें एक ज्ञानचंद का नंबर दे दिया। इनसे परेशान तो मुझ जैसा भी था। फिर क्या था रोशनी देवी गुस्से में बिजली विभाग का नंबर डायल कर बैठी। परम्परानुसार बिजली विभाग का टेलीफोन कुछ देर व्यस्तता बताता रहा। पंद्रह मिनट की अपार कोशिशों के बाद फोन की घंटी बजने लगी। रोशनी देवी तिलमिलाई हुई थी। उधर अन्धेरी सब डिवीजन से कर्मचारी द्वारा फोन उठाते ही रोशनी देवी शुरू हो गई।’ उजाला संगीत नगरी में कभी से बिजली गुल हुई है। आखिर कब तक आएगी?
कर्मचारी बोला, तेज़ हवाओं के चलने से फाल्ट हुआ है। उसे सुधारा जाना है।
रोशनी देवी को और गुस्सा आया। कहने लगी, मेंटेनेंस के नाम पर पिछले दो माह से कितनी ही बार दिन-दिन , रात रात भर के लिए बिजली आपूर्ति रोकी जा चुकी है। फिर यह फाल्ट कैसा?
कर्मचारी बोला, इतना तो मैं नहीं जानता। मेरे पास जो जानकारी थी वह मैंने दे दी। रोशनी देवी को और गुस्सा आया। उन्होंने कहा, आखिर कौन हमें बताएगा कि ऐसा बार-बार क्यों होता है?
ज्ञानचंद कर्मचारी ने अपने से बड़े रायचंद अधिकारी के नंबर दे दिए। कहने लगा, आप इनसे ही संपर्क करें।
रोशनी देवी ने रायचंद को फोन लगाया। अधिकारी ने फोन उठाया। रोशनी देवी के सवाल पर कहने लगा, मैडम, हम आपकी समस्या समझते हैं, मगर तेज हवाएं चलने से आपके एरिए में बड़ा फाल्ट हुआ है। उसे सुधारने के बाद ही लाइट चालू हो सकेगी।
रोशनी देवी ने पूछा, कब तक सुधारा जा सकेगा। अधिकारी बोला, यह फाल्ट पर निर्भर करता है। वह कितना बड़ा है ,उसके हिसाब से उसे सुधारा जा सकेगा। कई फाल्ट तत्काल सुधर जाते हैं। कई फाल्ट 2 दिन में भी नहीं सुधरते और कई फाल्ट तो महीनों तक नहीं सुधर पाते।
रोशनी देवी को चिढ़ आने लगी। ‘यह कैसा जवाब हुआ भला। अधिकारी ने कहा, मेरे पास जितनी जानकारी थी, मैंने आपको दे दी है। फाल्ट की गहराई से जुड़ी जानकारी लेने के लिए आपको हमारे बड़े फेंकूचंद अधिकारी से बात करना होगा। यह कहते हुए उसने अपने से बड़े अधिकारी का नंबर रोशनी देवी को दे दिया।
रोशनी देवी ने उन्हें भी फोन लगाया। इस बार रोशनी देवी ने कुछ शांत लहजे में बात की। दो लोगों से चर्चा करने के बाद व्यक्ति का गुस्सा वैसे ही ठंडा पड़ जाया करता है। इसलिए रोशनी देवी भी अब थोड़ा सहज हो चुकी थीं। उन्होंने बड़े अधिकारी से पूछा, उजाला संगीत नगरी में बिजली कभी से गई हुई है। आखिर आप मेंटेनेंस करते किसलिए हैं?
बड़ा अधिकारी शांत स्वर में बोला, मैडम, मेंटेनेंस कई तरह के होते हैं। जिस तरह के मेंटेनेंस आपके एरिया में किया गया है, यह फाल्ट उस तरह का नहीं लगता है, इसलिए बिजली गुल हो गई।
रोशनी देवी ने कहा, पिछले दो माह से मेंटेनेंस कर रहे हो जिसके बाउजूद कई बार हमारे घर सहित नगर की बिजली गुल हो चुकी है। फिर ये बिजली क्यों गई?
अधिकारी ने समझाया, देखिए मैडम। पहली बार मेंटेनेंस किया गया था उसमें बिजली के तारों पर आने वाली पेड़ों की डालियों को काट छांट कर हटाया गया था। दूसरी बार मेंटेनेंस में बिजली के खंभों की स्थिति देखी गई थी। तीसरी बार के मेंटेनेंस में ट्रांसफार्मर को अच्छे से सुधारा गया था। चौथी बार के मेंटेनेंस में ढीले हो चुके बिजली के तारों को जोर लगा कर कसा गया था। पांचवें तरह के मेंटेनेंस में हल्की हवा चलने पर कोई फाल्ट न हो इस संबंध में बहुत काम किया गया था।
रोशनी देवी का पारा अपनी चरम सीमा में फिर से गरम हो रहा था। इधर से बोलीं, तो फिर यह फाल्ट क्यों हो गया?
बड़ा अधिकारी बोला, यही तो मैं समझा रहा हुँ की हमने हल्की हवा चलने पर होने वाले फाल्ट से बचने के प्रबंध किए थे, मगर यह तो तेज हवा थी। तेज हवा के लिए मेंटेनेंस तो अभी तक किया ही नहीं गया है।
रोशनी देवी तमतमा रही थीं। कहने लगीं, मतलब जब-जब भी तेज हवा चलेगी या बारिश होगी तो बिजली इसी तरह जाती रहेगी?
बड़ा अधिकारी बोला, नहीं…नहीं। आप ऐसा न समझें। अभी हमें कई मेंटेनेंस करना हैं। तेज हवाओं के चलने पर फाल्ट से बचने का मेंटेनेंस। हल्की बारिश होने पर किया जाने वाला मेंटेनेंस। तेज बारिश होने पर किया जाने वाला मेंटेनेंस। रोशनी देवी बोलीं, इसके बाद बिजली नहीं जाएगी, इस बात की तो गारंटी होगी न?
बड़ा अधिकारी बोला- यह तो वक्त और परिस्थिति पर निर्भर करता है। सारे मेंटेनेंस के बाद भी कुछ ऐसी परिस्थिति निर्मित हो जाएं और बिजली चली जाए तो आप अन्यथा न लें। हम और हमारा विभाग आपकी सेवा के लिए सदैव तत्पर है।
बड़े अधिकारी का जवाब सुनते ही रोशनी देवी ने हाथ की टॉर्च को अपने सर पर दे मारा। जोर का झटका लगते ही टॉर्च भी बंद हो चुकी थी। रोशनी देवी अंधेरे में ही अपनी टॉर्च के मेंटेनेंस में जुट गईं।