
कृपया सियासत करते रहीये माननीयों !
व्यंग्य विधा में मनोरंजन ” करौंदा फल ”
हे आदरणीय! हे सियासत बाजों! एक जीव की पीड़ा मुझ तक वाट्सपिया स्टाइल में ग्रुप में आई जिसे मैंने आपसे साझा किया है। ये सवांद , व्यंग्य, लेख आपको विभिन्न रस का अनुभव अवश्य कराएगा। जहां पर मुझ अभागी जनता का आप सभी जुमलेबाजों को सादर प्रणाम! इस विकट संकट की घड़ी में हम एक देश में रहकर अनेकता की तरह व्यवहार करते नजर आ रहे हैं। यह बहुत अच्छी बात है। हर एक रियासत अपने-अपने ढंग की, अपने-अपने मतलब की जबरदस्त गाइडलाइनें निकाल रहा है। यह भी अच्छी बात है। और नगर , रियासत के कुछ अवसरवादी आगामी सियासती के चक्कर में इन्तेजार में लगे हैं। कई महापुरुष घर पर धरना दे रहे हैं। हमने जन सभा के साथ वाहनों की रेलियां भी खूब की और देखी है। इस अवसर पर हर एक सियासती पार्टी अपने-अपने ढंग की सियासत कर रही है। इसी बीच करौंदा फल की खट्टी स्वाद ने हम सब जनता के दांत खटिया दिए हैं जिससे निजात दिलाने जुमले बाजों ने कोई कसर नहीं छोड़ी और कई फैकसीन अविष्कार डाली जिसे अब हमीं को बेच रही है वो तो भला हो दाऊ कका के जो हम सभी को मुफ्त में लगवा रहे हैं। यह बढ़िया अवसर है। ऐसे संकटकालीन अवसर पर ही सियासत बाजी चमकती है। इसी समय आपको राजनीति करनी चाहिए। किसके फैकसीन कब लगेगी? ये गेंद – गजरे – करगे एक-दूसरे पर कब फेंकने चाहिए ? इन्हें अच्छे से पता है। हवा की सप्लाई अपने आदमी को देनी है उसे नहीं देनी थी, मुझे भी एडवांस्ड देनी थी।
खैर…..एक माननीय ने तो आज हद कर दी जब वो अपने ट्विटर पर ऐसे ट्विटराए की फैक्सीन की लाइन लगी है, गवाई के लिए लाइन लगी है , सेड के लिए लाइन लगी है, यहाँ तक हवा के लिए भी। पर यहाँ के दाऊ जी को बेवड़ों की चिंता है ऑनलाइन खराब घर तक पहुंचा रही है। मेरा तो गला भर आया ये पढ़ के भाइयों! क्योंकी जिस जिम्मेदारी के साथ इस आदरणीय ने जो आरोप लगाया है उनके बारे में हम सब जानते हैं कि इन्होंने पूरे 15 साल सिर्फ आम का जूस ही बेचा है। धन्य है प्रभु। तभी तो आदरणीय इतने आंखे तरेर के बेशर्मी की सभी सीमा लांघ कर विरोधी दल पर ऐसे तंज कस रहे हैं। जैसे की इन्होंने अपने राज में आम , रसना , के जूस बेची ही न हो। ये साहब काफी अनुभवी हैं इन्हें पता है कि दाऊ जी इनके लिए कोई मोह माया वाली मुद्दा नहीं छोड़ने वाले हैं । कका ह तो एखरे बनाये मैदान म एखरे हर बाल म छक्का चौका लगात हवे।
खैर… एक समय में पेशे से ये भी गवाई गांव के झोला छाप रिहिस । मेरे मकान मालिक भाई राम के साथ , वो क्या कहते! कम्पाउंडर क्या? खैर नसीब नसीब की बात है कुर्शी पर कम समय में बैठ कर लंबी पारी खेले। जहां पर कैप्टन और टीम प्लेयरों पर पूरे टूर्नामेंट के मैच में कई कारनामों के साथ हर जगह फिक्सिंग के साथ साथ इनके अपनों पर तथा स्वयं पर आय से अधिक संपत्ति का मामला न्याय के देवता तक पहुंच गया। यहाँ तक इनके सुपुत्र पर कई पॉकेट पनामा सिगरेट गबन का आरोप लग गया। आजकल इनकी टोली एवं खुद साहब ऐसे ऐसे वाक्य प्रेस कॉन्फ्रेंस में फहरा रहे हैं जिसे सुनकर स्वान को भी इनकी बात हजम न हो।
वैसे सबको पता है कि आप सियासतदानों की कथनी और करनी में काफी अंतर होता है। आप अपनी-अपनी डफली और अपना-अपना राग अलाप रहे हैं। अपने ढंग का स्वार्थमयी आंगन हो तब ही आप नाचते हैं। आप खुद एक-दूसरे की भैंसों के आगे बीन बजाना अच्छे से जानते हैं और बजा भी रहे हैं। लाठी लेकर आप अपनी भैंस को घर ले आते हैं। अगर आप इस संक्रमण के दौर में ही राजनीति नहीं करेंगे, तो फिर कब करेंगे? ये भी बात है न मनटोरा। बढ़िया यह है कि आप संक्रमण के ऊपर का एक शानदार मंच बना लें। करौंदा फल का एक माइक लगा लें। करौंदा फल की एक बड़ी सी भीड़ इकट्ठी कर लें। फिर अपनी राजनीतिक बयानबाजी चालू कर दें। आपको पता है कि फैक्सीन कार्यक्रम अभी बहुत लंबा चलेगा। यह भी आपको पता है कि करौंदा फल की जाने अब कौन सी नई नई वैरायटी जैसे चौथी-पांचवी खट्टी सवाद की लहर जाने कब आ जाएगी!
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए आप पूरी तरह से सियासत के चुल्लू भर पानी में डूब जाएं। बल्कि सियासत ही आप में डूब जाए। अपनी मर्जी से रोकडाउन, तो कहीं मर्फ्यू लगा दें। यह सब आपको पता है कि इन दिनों सियासती आयोग के अधिकारी मंगल ग्रह की यात्रा पर गए हुए हैं। उन्हें मंगल ग्रह पर करौंदा फल की नई गाइडलाइन के अनुसार नगर में फिर पंचायती जो करवाने हैं। इधर आपको अपनी खोई हुई कुर्सी लूटनी है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए आप भरपूर सियासत करें। आप यही ध्यान रखें कि हर हाल में आप अपने वोटों और नोटों से अपनी झोली कैसे भरें? जनता तो जनता है उन्हें आपकी घड़ियाली आंसू देखकर तो तरस आ ही जायेगा। भले अभी चाहे कितने तक़लीफ़ झेल रहे हों। न रोटी न , कपड़ा , न रोजी न रोजी , है न!
आप अपने मतलब के नेता की करौंदा फल की रिपोर्ट खट्टी बनाएं या फिर अपने मतलब के लिए उसे मीठी ही बना दें। खट्टी-मीठी, मीठी-खट्टी रिपोर्ट बनवाना . आप अपनी पसंद के अनुसार ही करते रहें। कृपया मुझ जनता का ध्यान बिल्कुल मत करना। मुझे अपने हाल पर ऐसे ही मरने के लिए छोड़ देना। मैंने आपको दिया भी क्या था, सिर्फ एक वोट! एक वोट के बदले आपको मेरे लिए इतनी भेजा-पचाई करनी भी नहीं चाहिए। जैसे मधुमक्खी प्रसून पराग रस संग्रहित कर शहद बना लेती है, उसी तरह से आप करौंदा फल मुद्दों का रस इकट्ठे कर अपने लिए एक दिव्य कुर्सी जरूर खड़ी कर दें। आपके अपरिमित आनंद, अपार शांति, असीम सुख और अद्भुत रस के लिए आप की सियासत ही जरूरी है। आपसे यही उम्मीद की जाती है कि जब भी जनता पर कोई आपदा आए तो आप तुरंत अपनी सियासत करने लग जाएं। कृपया आप सभी सियासत करते रहिए माननीयों और घर पर पड़े-पड़े ट्विटराते रहिए। खाते-पीते फेसबुकाते रहिए। झोला छाप गोदी से तो कुछ नहीं मांगगे आप है न ! मांगेगे तो हमर , कका दाऊ से। कका के राज म कम से कम हम जिंदा तो है । मैं तो अभागी जनता हूं, मुझे मेरे हाल पर छोड़ दीजिए। आपकी पूर्व दुखियारी जनता!
टिप:― उक्त व्यंग्य का उद्देस्य आप सभी पाठकों का मनोरंजन करना है। यह व्यंग्य पूरी तरह से काल्पनिक है इसका किसी व्यक्ति विशेष , राज्य , सियासत एवं घटना से किसी भी प्रकार कोई तालुकात नहीं है। यदि ऐसा होता है तो यह एक मात्र संयोग माना जायेगा।