*”बदलाव का सियासत” “राजा सोलंकी” ;― नगर पालिका उपाध्यक्ष का वीडियो वायरल कर रातों रात ख्याति प्राप्त करने वाला युवा नेता ………………………… अब वार्ड 18 की जनता बदलाव चाहती है ।*
नितिन कुमार भांडेकर की कलम से…….9589050550
नगर की सियासत आजकल डिजिटल हो चली है जिसका फायदा पक्ष एवं विपक्ष के नेतागण अपनी हर प्रतिक्रिया के साथ ,,,,,,,, तीज त्योहार से लेकर जयंती तक सोशल मीडिया में टैग एव शेयर कर अपनी उपस्थि खूब जता रहे हैं। ऐसा मैं नहीं कह रहा जनाब …. ये तो *”डिजिटल राजनीति”* बता रहा है । अच्छा चलो मैं आपको इसका अच्छा उदाहरण बताता हूँ …….., कुछ महीने या बीते साल पूर्व नगर में जेजे सी दल का कार्यकर्ता राजा सोलंकी ने परिषद के उपाध्यक्ष रामाधार रजक की कथित वीडियो सोशल मीडिया में वायरल कर रातों रात नगर से लेकर छत्तीसगढ़ प्रदेश स्तर तक ख्याति प्राप्त कर सत्ता सरकार के सूबे के शीर्ष नेताओं के दिल में जगह बना ली। चूंकि मामला नगरपरिषद उपाध्यक्ष (बीजेपी) का जो था। ख़ैर……. मसला क्या था ये तो अभी भी जांच का विषय है जो थाने से लेकर ई ओ डब्लू एवं नगरीय प्रशासन की जांच रिपोर्ट आने पर ही कुछ खुलासा होगा।
पर जो भी हो इस युवा नेता की नगर में उस वख्त काफी चर्चा हुई । नगर के हर गली हर चौराहों पर कथित वायरल वीडियो करने वाले इस युवा चेहरे की हर कोई इसके हिम्मत की तारीफ करते नजर आ रहा था। होगी भी न क्यों ईसने इतनी बड़ी जहमत जो कर दिखाया था । जो शायद आज तक सत्ता पक्ष में रहते हुए भी नगर के बड़े बड़े तुर्रमखां ने भी नहीं किया ।
आजकल कुछ तुर्रमखां काम तो फेसबुक पर ही बिन बारिश के ईर्ष्या से टर-टर्राते हुए ही देखे जा रहे हैं। खैर…. *विद्वान सर्वत्र पूज्यते।* सोना कीचड़ में गिरे तो भी सोना ही होता है।
जनाब शुमारी पाने का मौका उनको भी पहले था । पर क्या करें इनमें एकता तो है ही नहीं जितनी एकता विपक्ष में है उतना तो पक्ष में ,,,आधा भी हो तो पुनः परिषद की कुर्शी पर कब्जा कर सकते हैं ? पर कहां,,,, जनाबों को तो अपने ही सदस्य के एक दूसरे के पैर खींचने से और पार्टी के होने के बाउजूद तीन खेमा बनाकर मुखीयगिरी करने का शौक़ जो चढ़ गया है। ये जानकारी नगर को तो है ही , पर कुछ सप्ताह पहले पार्टी के आला कमान के कुछ नुमाइन्दे जो चुनावी सर्वे करने आये थे उन्हें भी पता चल गई । जिनकी रिपोर्ट सूबे के आलाकमान को दे दी गयी है। अब वो क्या तय करते हैं वो कुछ समय में जनता के सामने होगा।
ताज्जुब की बात है सत्ता में होने के बाद भी आज तक विपक्ष के कई राज इनके सीने में दफन है पर न तो अध्यक्ष , सभापति, और न ही एल्डरमैनों ने भी कभी आवाज नहीं उठाई और न ही कभी शिकायत की,,,,,, वो तो भला हो ईस युवा चेहरा का जो एक के बाद एक परिषद से जुड़ी मामलों को उजागर किया ।
कहते हैं सोने की परख तो जौहरी ही करता है ठीक वैसे ही मौका देखते ही इस युवा नेता को वर्तमान में कांग्रेस पार्टी एवं परिषद के सभापति मनराखन देवांगन ने लपक लिया। युवा नेता ने भी इनका हाथ थाम कर जनता के सेवा करने पार्टी के राह पर चल पड़े हैं । वैसे ख्याति प्राप्त नए युवा सदस्य के पार्टी के आगमन से कई मिठलबरा , बड़बोला , या यूं कहें बातों के शेर युवाओं के कलेजे पलट गए हैं। अब बात ऐसी है सालों साल दरी उठाया पर आज तक इतना शुमारी नहीं पाई पर अचानक से कम उम्र के युवा नेता के ख्यातिपन को देख कर ईर्ष्या तो होगी ही । शोशल मीडिया में इनके विरुद्ध जो शब्दभेदी बाण चल रहा है वह नगर से छुपी तो नहीं है।
चलिए कैसे भी सही अब हमारे नगर की राजनीति झकाझक सफेद हो जाएगी क्योंकि जनता बदलाव चाहती है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि चेहरे वही हो या पुराने हैं। मगर मतदाताओं का रुझान इस बार बता रहा है कि जनता बदलाव चाहती है। प्रत्यासीयों केो लेकर राजनैतिक दलों ने दोस्ताना अदल-बदल कर अपना होमवर्क पूरा कर लिया है। इधर एक दल ने निकाला वहीं दूसरे दल ने उसे लपक लिया। (दिया) जहां भी रहेगा रोशनी लुटाएगा। चराग का कोई अपना घर नहीं होता।
——————————————————————————-
व्यंग्य विधा :-
श्रद्धेय डिजायर वाले बाबू के जन कल्याण की भावना से ओतप्रोत होकर खान साहब जेजे सी से कांग्रेस में आ गए। शेष नेता भी जन हित में पाला बदल के खेल में दिन-रात जुटे हैं। अपनी प्रतिभा एक ही दल में क्यों नष्ट की जाए। दूसरे दलों को भी क्यों न ऑब्लाइज किया जाए। करेप्शन की कुशाग्र प्रतिभा के धनी माननीय अब दूसरे दल को भी घोटाले का तकनीकि सहयोग देने अन्दुरुनी चाल चल रहे हैं। अब जिस दल की नागरिकता ली है वहां भी सम्माननीय हैं। परन्तु कुछ लोंगो को इनकी लोकप्रियता से अपने ही कुर्शी सरक न जाने का डर इतना हो चला है कि एक मियां दूसरे मियां को फेसबुक और वाट्सप को वार रूम बना बैठे हैं। खैर…. *विद्वान सर्वत्र पूज्यते।* सोना कीचड़ में गिरे तो भी सोना ही होता है। जनसेवक भी कुर्सी पर हो या आगे चलके जेल में हमेशा सम्माननीय ही रहता है। एक बात और है इन्हें कभी भी, कहीं भी और किसी भी स्थान से चुनाव लड़ने का नेशनल परमिट जन्म के साथ ही मिल जाता है। कुछ तो अति भाग्यशाली होते हैं जो उस परमिट में लिपटकर ही संसार में अवतरित होते हैं। कुर्सी हथियाना इनका फेमली ड्रामा होता है। परिवार का हर सदस्य इस लड़ाई में एक जुट हो जाता है। भले ही राजनीति में न हों मुसीबत में रोड शो करने वे भी निकल आते हैं। और अब की तो मतदान ज्यादा होने का आसार है। वोटर बदलाव की बयार लाने को कसमसा रहा है। नेता भी लालीपॉप की जगह अब मुद्दों को बांटने की बातें कर रहे हैं। हर दल नगर की तस्वीर बदलने पर अपने-अपने ढंग से आमादा हैं। दीवार पर बस निर्वाचन आयोग की कील ठुकनी बाकी रह गई है। जिसे बदलाव के कुछ उत्साही जांबाज पहरुए आरक्षण की हथौड़ी से ठोंकने में लगे हैं। बदलाव तो लाना ही है। क्योंकि बदलाव जनता चाहती है। हर दल के माननीय पाला बदल-बदलकर बदलाव की नई इबारत लिख रहे हैं। लोकतंत्र को आनेवाले इस सुखद बदलाव की अभी से मुबारकबाद।