
★ – वाह रे सहनशीलता नगर के आम जनता की , जो कुर्शी पर आसीन घूसखोर अधिकारी और कमीशन खोर नेताओं को जबरदस्ती झेलने पर मजबूर है !!
आपको बता दूं कि ऊपर वर्णित ढुलबेन्द्रे और ढुलबेन्द्री यदि गलती से , या ले दे के सरकारी नौकरी या जुमलेबाजी करके धोखे से नेता बन जाता है तो , ये अपनी नालायक़ी दिखाना पदस्थापना के दिन से ही तत्काल शुरू कर देता है चाहे वह जहां भी रहे।
खैर….. नगर के एक सरकारी विभाग में पदस्थ कर्मचारी मेरे परम मित्र हैं , जिन्हें मैंने वर्तमान सियासी दांव पेंच पर , चर्चा कर उनकी उदासीनता और लापरवाही , पर प्रश्न कर डाला जिस पर उसने अपने साथ अपने उच्च नेता, अधिकारियों की पोल खोल कर रख दी। आगे कहने लगा कि इनकी दिली इच्छा होती है सहाब कि वह महीना भर घर में, दफ्तर में कुर्सी पर सर्दियों में हीटर के आगे टांगें पसार कर, गर्मियों में पंखे के नीचे उंघियाता रहे और वेतन के कालम में घुग्गी मार जेब पर हाथ फेरता हुआ घर जाए।
ऐसे लोग सरकारी नौकरी किस लिए करते हैं? जनता की सेवा के लिए? गलत! कोई मुझ जैसे से पूछे तो मैं साफ कह दूं , बाबा – दादा की गुलामी कर रोटी खाने के लिए। इसी वजह से नगर में इनकी कृपा दृष्टि से सालों साल कुर्सी तोड़ रहे हैं कई विभाग के अधिकारी कर्मचारी।
बंधु! मेहनत करके तो गधा भी खा लेता है। हम तो भगवान की सर्वश्रेष्ठ कृति हैं, ऊपर से सरकार का दामाद , (लक्ष्मी) । यानी सोने पर सुहागा। अब आप तो जानते ही हो भाई साहब नगर के प्रतिभाशाली शक्तियों का आलम क्या है….. काम करे मेरी जूती! वैसे नगर कौन सा मेरे काम करने पर चल रहा है? यह तो अपने आप चल रहा है। साथ वाले चापलूसों को प्यारे हो गए? छोड़ो यार! क्या मिला है यहां किसीको काम करके? जिन्होंने काम को पूजा माना, उन्हें कौन सा स्वर्ग मिल गया? गंजे हो गए सोच-सोच कर। बीपी हाई लिए सोते हैं, बीपी हाई लिए जागते हैं। दिल के मरीज हो गए नेता और अधिकारी।
हमें भी थोड़ा सीखा दो चापलूसी…..
देखिए साहब! आज बाजार में सबकुछ उपलब्ध है,पर चापलूसी नहीं, जिसकी इनकी तरह आपको भी सख्त जरूरत है। मैं आपको अपना सबकुछ दे सकता हूं पर अपने हिस्से का चापलूसी नहीं। कारण, अभी मेरे पास चापलूसी की बहुत कमी है। आप पैसे से सबकुछ खरीद सकते हैं पर चापलूसी नहीं। अपने हिस्से का चापलूसी आप को खुद ही कमाना होगा। चापलूसी कमाने के लिए खून-पसीना एक करना पड़ता है बंधु! चापलूसी न तो खरीदने की चीज है, न उधार लेने-देने की। यह तो मेहनत से अर्जित करने की वस्तु है। इसलिए तो यहाँ नगर में अनेक मुद्दे पर सियासत ही होती आ रही है कार्यवाही तो मैडम के पुस्तक में धूल खा रही है। यही वजह है और जरूरी है कि आप मेरी तरह किसी से ईमानदारी से प्यार-वार करें या न, पर चापलूसी पूरी ईमानदारी से करें। तभी आप यहाँ टिक पाओगे ।