▪️खैरागढ़ की सियासती हलचल , एक सफर……
पढ़िए पूरी खबर नितिन भांडेकर की कलम से खैरागढ़ की डावांडोल सियासत।
खैरागढ़। हम बात कर रहे हैं खैरागढ़राज की सियासत के बारे में , जो राजनांदगांव जिले अंतर्गत का एक विधानसभा है। जहां की सियासत अब अपनी पूरी खुमारी पर है। इस सर्द भरी मौषम में भी यहाँ का पारा उच्च तापमान पर है। दिवंगत विधायक राजा देवव्रत सिंह के बाद रिक्त इस विधानसभा में कई लोग अपनी-अपनी दावेदारी को लेकर आये दिन जोड़-तोड़ करते हुए पक्ष विपक्ष के कई अच्छे राजनीतिक विश्लेषक सहित सियासत के इस खेल में माहिर वजीरों , और सिपाहियों तक के लोग यहां अपनी चाल आगे चलने में खूब पसीना बहा रहे हैं। उधर ऐसा ही कुछ आलम पक्ष विपक्ष के आला कमानों की भी है, बहरहाल उनको भी यहाँ की राजनीति की गणित हल करने में काफी मशक्क्त करना पड़ रहा है। पक्ष में जहां एक ओर थोक के भाव में तीन दर्जन से भी ज्यादा लोग इस विधानसभा में दावेदारी कर रहे हैं । वहीं विपक्ष में भी एक लंबी फेहरिस्त है । जो लगभग आधा दर्जन हो सकती है। अब जनाब कार्यकर्ता हैं , तो दावेदारी करें भी क्यों न ? क्या हमेसा ये दरी ही उठाते रहेंगे ? उनकी भी लालसा है कुर्शी पर बैठने की…. खैर हम बात करते हैं खैरागढ़ नगरपालिका के पहले चुनाव परिणाम की जहां पर सत्ता सरकार ले दे कर अपनी पूरी ताकत झोंकने के पश्चात सिर्फ 10 वार्ड में विपक्ष से बहुत ही कम अंतर से जीत पाई । जहाँ पर पक्ष एवं विपक्ष दोनों के मध्य टाई जैसी परिस्थिति निर्मित हो गयी। वो तो भला हो इनकी किस्मत का , जो सत्ता सरकार के पक्ष में फैशला करते हुए पालिका में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष को कुर्शी पर बैठने का पुनः मौका दे दी।
इससे यह बात तो स्पष्ट हो गया कि भाजपा पार्टी की खैरागढ़ शहर में स्तिथि काफी मजबूत है। एक तरफ जहां पर सत्ता सरकार के पूरे बड़े नामचीन वी आई पी सहित स्वंय मुखिया प्रचार में उतर गए थे वहीं विपक्ष एक मात्र छवि के सहारे पालिका चुनाव में डटकर 10 वार्ड में अपनी जीत दर्ज कराई। खैर….
खैरागढ़ नगर पालिका की कुर्शी में सत्ता सरकार ने एनकेन आखिरकार अपना कब्जा कर ही लिया। एक बात तो गौर करने वाली है , कि जिन वार्डों में इन्हें विपक्ष से शिकस्त मिली है उस वार्ड में पार्टी के बड़े बड़े नामचीन एवं कद्दावर नेताओं का डेरा था तो वहीं उनका गृह वार्ड था । जो फिलहाल करारी हार मिलने के बाद भी अपनी नाक उठाये विधानसभा चुनाव में दावेदारी कर रहे हैं। हद तो तब हो गयी जब आज त्रिस्तरीय खैरागढ़ जनपद पंचायत के उपचुनाव का परिणाम आया। विपक्ष के एक प्रत्यासी ने सत्ता पक्ष के उम्मीदवार को लगभग 1300 सौ मतों से हराते हुए विजय हासिल कर ली। आपको हम बता दें की जिन ग्राम पंचायतों में विपक्ष ने अपना दमखम दिखाते हुए , अपने नामचीन नेता के अनुपस्थिति में लोधी फेक्टर का गणित बताने वालों को जो पटखनी दी है , उससे तो यहाँ की राजनीति में हलचल मच गई है। अब ये बात तो ऊपर तक तो जानी ही है, कि दावेदारी करने वाले तमाम ऐसे नेता जो की अपने गृह ग्राम , सहित अपने क्षेत्र के बूथ तक में पकड़ नहीं है । जो बुरी तरीके से विपक्ष से हार कर बैठे हैं। ऐसे में विधानसभा का इनके द्वारा टिकट मांगना लाजमी होगा?? या इन्हें टिकट देना लाजमी होगा। ……
शेष अगले पार्ट में✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️