▪️पद्मादेवी सिंह के सानिध्य में 14 हजार इच्छुक लोग करेंगे कांग्रेस पार्टी में प्रवेश।
▪️53 दावेदारों में से सबसे मजबूत दावेदारी है पदमा देवी सिंह की….
▪️पक्ष-विपक्ष के जनप्रतिनिधियों सहित आमजन भी उतरे पदमा सिंह के समर्थन में।
NITIN KUMAR BHANDEKAR ―
खैरागढ़। खैरागढ़ विधानसभा में पदमा देवी सिंह की दावेदारी को लेकर विधानसभा में सियासत की गर्मी काफी बढ़ चुकी है। जिसके बाद से विरोधियों का कई खेमा स्वतः तैयार हो गया है। जहाँ पर एक खेमा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पदमा सिंह के विरुद्ध अनर्गल बातें करके अपना उल्लू सीधा करने में लगा हुआ था। तो वहीं दूसरा खेमा कुछ रोज पहले मंत्री जी के समक्ष निजी मामलों को लेकर सीधे शिकायत करने पहुंचा था। जहां पर पदमा सिंह की बुराई करते हुए अपने आपको काफी काबिल जता बता रहे थे। खैर… इन खेमों के चाणक्यों को उनके ही अंदाज में जवाब मिला है जिससे ये खुद औंधे मुहं गिर पड़े हैं। एक तो अपने किये गलतियों पर पछतावा करते हुए फ़्फ़क-फ़्फ़क कर अब भी रोते हुए नजर आ रहा है। तो वहीं दूसरी ओर जिलाध्यक्ष वेदराम साहू के संघ के सौ पदाधिकारियों ने जिलाध्यक्ष के इस कृत्य को निजी स्वार्थ की राजनीतिक से प्रेरित बताते हुए उनके आरोपों को सिरे से खारिज ही कर दिया । साथ ही पदमा सिंह को समर्थन दिए जाने की बातों पर अपनी अब पक्की मुहंर लगा दी। जी हाँ … तो चलिए हम बात करते हैं , पदमा देवी सिंह के समर्थन में उतरे हजार-दो-हजार नहीं , बल्कि पूरे 14 हजार से भी अधिक कार्यकर्ताओं की जो अब उनके सानिध्य में इस चुनावी मैदान में उनके पक्ष में उतरने वाले हैं। ये वही कार्यकर्ता हैं जो कि खैरागढ़ विधानसभा में दिवंगत राजा देवव्रत सिंह के साथ कंधे से कंधे मिला कर उनके पग-पग में सदैव साथ देते आये हैं।
एक तरह से देखा जाए तो खैरागढ़ विधानसभा में अब लोकप्रिय , एवं दमदार नेतृत्व करने के लिए इनके अलावा कोई दूसरा चेहरा नजर नहीं आ रहा है। हम आपको ऐसे कई उदाहरण बता सकते हैं जिनमें इनके समर्थकों को अपने दल बल के साथ समय समय पर देखा गया है। पिछले कुछ माह में हुए प्रत्यक्ष घटना है जो इनके समर्थन की गाथा का बयां करता है। जैसे कि जब-जब इन पर कोई उंगली उठाई गई है तब-तब इनके सैकड़ों -हजारों समर्थक ईंट का जवाब पत्थर से देते आये हैं।
कांग्रेस पार्टी को समर्पित सिपाही हूँ :―
आप को बता दें कि चाहे मायका हो या ससुराल पदमा देवी सिंह का इतिहास कांग्रेस पार्टी में सदैव एक सिपाही की तरह शुरू से ही रहा है। यहाँ तक के जब दिवंगत राजा पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में चले गए थे। तब भी इन्होंने कांग्रेस पार्टी को नहीं छोड़ा। समय समय पर विभिन्न चुनावों में पार्टी के पक्ष में अन्यत्र क्षेत्रों में जोर शोर से प्रचार प्रसार में उतरी हैं।
आखिर किस वार्ड की हैं निवाशी ? :― आपको पता ही होगा कि नगरपालिका चुनाव में एक वार्ड ऐसा भी था जो चुनाव के प्रारंभ से लेकर चुनाव परिणाम तक खूब चर्चे में था। जिसे नगर के कुछ विद्वानों सहित कांग्रेस पार्टी भी मानती थी कि ये वार्ड जीत पाना बहुत मुश्किल है। यहाँ तक के इस वार्ड के प्रत्यासी को उसके मुंह पर बोल दिया जाता था कि आप इस बार अपने वार्ड से हार रहे हो। हम बात कर रहे हैं वार्ड नम्बर 20 की जहां से निकाय चुनाव में जीत हाशिल करने वाले प्रत्यासी दिलीप लहरे की , जिनका मुकाबला निकाय चुनाव में अन्य दो दावेदारों के साथ त्रिकोणीय मुकाबला था। जब निकाय चुनाव का परिणाम आया तो यह वार्ड सबके लिए चौकाने वाला वार्ड था। क्योंकि जिस प्रत्यासी को सब हार जाने की बात कह रहे थे वो इस वार्ड से जीत चुके थे। हम बता दें कि इस वार्ड में पदमा देवी सिंह भी निवासरित हैं। इनके द्वारा जिस जिस वार्ड में कांग्रेस पार्टी के पक्ष में प्रचार प्रसार किया गया था उस वार्ड का प्रत्यासी आज वर्तमान में खैरागढ़ नगर पालिका का पार्षद है। ये उनकी लोकप्रियता थी। जिस कारण आज खैरागढ़ नगरपालिका के 8 पार्षद इनके दावेदारी को लेकर इनके समर्थन में उतर गए हैं।
रही बात विधान सभा की तो इन्होंने सत्ता पक्ष के भाजपा के विरुद्ध कुछ वर्ष पूर्व उपचुनाव में भी अपनी ताक़त झोंकी थी। जिसके कारण इन्हें इस क्षेत्र में किसी के परिचय की आवस्यकता नहीं है।
कुछ रोज पहले दो चार संघ के पदाधिकारियों ने प्रेस कांफ्रेंस के जरिये समर्थन न देते हुए विरोध जताया था। जिसके जवाब में आज 100 सरपंच इनके समर्थन में सीधे प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिये उतर गए। जिनमें कई भाजपाई भी शामिल हैं। वहीं इस सबन्ध में जब हमने सरपंच संघ के क्षेत्रीय एवं कार्यकारिणी सदस्यों से प्रेस वार्ता के दौरान बात की तो हमें पता चला कि विरोध करने वाले सरपंच संघ के जिला अध्यक्ष ने किसी को इसकी जानकारी दिए बिना हमें भनक तक लगने नहीं दी। वहीं इस सबन्ध में जब हमने सरपंच संघ के क्षेत्रीय एवं कार्यकारिणी सदस्यों से प्रेस वार्ता के दौरान बात की तो हमें पता चला कि विरोध करने वाले सरपंच संघ के जिला अध्यक्ष ने किसी को इसकी जानकारी दिए बिना हमें भनक तक लगने नहीं दी। जिससे ये बात तो स्पष्ट है कि बाहरी लोगों के द्वारा अपनी निजी राजनीतिक स्वार्थ के चलते ही पदमा देवी सिंह के छवि को धूमिल करने हेतु यह हथकंडा अपनाया गया था।
खैर.. यहाँ कुछ ऐसे भी कलम के सुरमा हैं जो इनके विरोध में आये दिन सोशल मीडिया में इनके निजी जिंदगी को लेकर दुष्प्रचार करते हुए नजर आ रहे हैं जो, कई तरह तरह के अपने बौद्धिक ज्ञान की छटा बिखेरते हुए , पदमा सिंह के विरोध में विश्लेषण करके ज्ञान बांटते फिर रहे हैं। मैं उनको बस यही कहना चाहूंगा कि पहले अपने वार्ड से जीत हाशिल करके देख ले। अंदाजा लग जायेगा कि आप कितने मशहूर हैं या आप कितने जनसेवा भावी हैं। जो शाम होते ही सोमरस में डूब कर गोता लगाया करते हैं वो आजकल विश्लेषक बने फिर रहे हैं। खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव में जिस तरह से पदमादेवी सिंह की दावेदारी आज पूरे प्रदेश में चर्चे का विषय है , उससे तो यही लगता है कि इनकी दावेदारी भी काफी मजबूत है। और हो भी क्यों न जिनके कार्यकर्ताओं की सूची 14 हजारों में हो जिनके समर्थक हर बूथ में सैकड़ों की संख्या में हो। ये नजारा हमें राजा देवव्रत सिंह के दशगात्र , तेरहवीं में भी देखने को मिला था। वहीं दूसरा मौका उदयपुर निवास में इनके समर्थन में उतरे वनांचल सहित शहरी एवं ग्रामीण को इन्हें न्याय दिलाने आक्रोशित होते देखा गया था।