सियासत की गलियारों में चिंतन-मंथन , कौन होगा खैरागढ़ का अगला विधायक।
प्रधान संपादक :- नितिन कुमार भांडेकर (9589050550)
खैरागढ़। खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव काफी नजदीक है। चुनाव आयोग द्वारा यहाँ पर कभी भी अचार सहिंता लगाने की घोषणा किया जा सकता है। ऐसे में कांग्रेस एवं भाजपा पार्टी के पास महज कुछ ही वख्त है। वहीं टिकट की चाह रखने वालों की धड़कने तेज है । दोनों पार्टी के मुखिया एड़ी चोटी की जोर आजमाइस करते हुए दर्जनों दावेदारों में से कोई एक दमदार , चर्चित , लोकप्रिय, चेहरा ढूंढने में लग गए हैं। जो वर्तमान राजनीतिक हालात में फिट बैठता हो , जो खैरागढ़ विधानसभा में अपने पार्टी को भारी मतों से विजय दिला कर पार्टी की नाक बचा सके। खैर…. आइए हम बात करते हैं कुछ प्रमुख दावेदारों की जिनका पलड़ा अपने-अपने राजनीतिक पार्टी में काफी भारी है।
हम बात करते हैं, पहले.. कांग्रेश पार्टी की , जिससे दावेदारी कर रही है, दिवंगत राजा देवव्रत सिंह की पहली पत्नी रानी पद्मा देवी सिंह। जिसे 2007 के उपचुनाव के बाद से कौन नहीं जानता है ? पद्मा देवी किसी के पहचान की मोहताज तो नहीं है। शहर से लेकर ग्रामीण वनांचल तक इन्हें आज भी आदर और सम्मान दिया जाता है। जब डॉक्टर रमन सिंह सत्ता में काबिज थे उस वख्त पद्मा देवी ने उपचुनाव में अपना दमखम दिखाते हुए पूरी ताकत झोंकी थी, किंतु सत्ता सरकार के चलते कोमल जंघेल से शिकस्त खा गई थी। फिलहाल वर्तमान परिवेश में पूर्व विधायक दिवंगत राजा देवव्रत सिहं के आकस्मिक निधन के पश्चात खैरागढ़ विधानसभा की राजनीति में मानो ग्रहण सा ही लग गया। रानी पद्मा देवी एवं उनके दोनों बच्चों को न्याय दिलाने जिस तरह से खैरागढ़ नगर से लेकर , शाल्हेवारा , गंडई , छुईखदान के शहरी एवं ग्रामीण वनांचल के लोगों में जिस तरह से आक्रोश दिखाई पड़ा… वहीं इनके समर्थकों ने जिस तरह से उदयपुर के पैलेस में रानी – राजा को न्याय दिलाने हंगामा भी खड़ा कर दिया । ईससे ये बात तो स्पष्ट हो गया है कि रानी पद्मा देवी के समर्थकों की संख्या अनगिनत है। आपको बता दें कि खैरागढ़ कांग्रेस आज जिस तरह से कमजोर है, उसका प्रमुख कारण यदि है, तो यहाँ के नेताओं के द्वारा अपने राजा के साथ अपने समस्त दिग्गज कार्यकर्ता सहित नेताओं का दूसरी पार्टी में चले जाना। जिसके बाद कांग्रेस पार्टी में दमखम दिखाने वाला एवं नेतृर्त्व कर्ता की कमी , सी हो गयी थी। अब राजा के न होने पर ये सभी अपने रानी के पक्ष में खड़े हो चले हैं । खैरागढ़ की राजनीति एक समय में दिल्ली तक दम भरा करती थी। खैर …..सभी दिग्गज अब प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के स्वस्थ्य होने का इन्तेजार कर रहे है। ताकि अपने रानी पद्मा देवी के नेतृत्व में हजारों कार्यकर्ता कांग्रेस परिवार में शामिल हो सके । यदि खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस अपनी पार्टी के तरफ से पद्मा देवी को प्रत्यासी घोषित करता है तो इन्हें विजय हासिल करने में ज्यादा गुणा भाग करना नहीं पड़ेगा। ऐसा यहाँ के कुछ राजनीतिक विशेषज्ञयों का कहना है। इनके अलावा एक और प्रबल दावेदार हैं जो कि इस विधानसभा से पूर्व में विधायक भी रह चुके हैं। किंतु पिछले विधानसभा चुनाव में तीसरे नम्बर की स्तिथि में आने की वजह से तथा अपने विधायिकी के कार्यकाल के दौरान सक्रीय न होना…. इनके दावेदारी के लिए अब रोड़ा अटकाए हुए है। वहीं त्रिस्तरीय पंचायती खैरागढ़ जनपद पंचायत के उपचुनाव का परिणाम अब सबके सामने है ऐसे में इन्हें पुनः देकर शायद पार्टी ऐसी गलती नहीं करेगी। चूंकि भाजपा के पास ऐसे दो बड़े चेहरे हैं जिनके सामने कांग्रेस पार्टी के पास खैरागढ़ विधानसभा में फिलहाल पद्मा देवी के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है। पार्टी में बाकी दावेदारी करने वालों को खैरागढ़ शहर के 10 किलोमीटर बाद कोई जानता भी नहीं है, तो वहीं कुछ का हाल तो ऐसा है कि नगर पालिका चुनाव में अपने वार्ड पार्षद तक को भी जीता नहीं पाए हैं। वही कुछ ऐसे हैं जिनके गृह ग्राम तथा बूथ में कभी कांग्रेस पार्टी जीती भी नहीं है। वहीं लोधी फेक्टर क्षेत्र होने के चलते खैरागढ़ जनपद उपचुनाव का जिसे प्रभारी बनाया गया था वो भी औंधे मुहं गिर चुके हैं। इनका समाजिक जादू भी नहीं चल पाया। खैर….. प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम जी जानते हैं कि विपक्ष खैरागढ़ शहर एवं ग्रामीण अंचल में काफी मजबूत है। ऐसे में जब कांग्रेस पार्टी के पास काफी कम समय बचा है , खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव में प्रत्यासी घोषित करने के लिए । तो काफी चिंतन एवं मंथन किया जा रहा है। यदि भाजपा खैरागढ़ विधानसभा हेतु भाजपा के विक्रांत सिंह या कोमल जंघेल को प्रत्यासी के रूप में घोषित करता है तो हमारे जानकारी अनुसार… राजनीतिक सलाहकारों के सूत्रों की माने तो विक्रांत सिंह द्वारा जिस तरह से जनपद अध्य्क्ष , नगर पालिका अध्यक्ष, , उसके बाद जिला पंचायत उपाध्यक्ष का सफर तय करते हुए सत्ता के खिलाफ नगर पालिका एवं जनपद सदस्य उपचुनाव में जीत दिलाना …इनका कद अब काफी बड़ा दिया है। ऐसे में जब वो यदि खैरागढ़ से दावेदारी करते हैं , तो इनका पलड़ा फिलहाल सबसे ज्यादा भारी बताया जा रहा है। बस शर्ते यह है कि कहीं परिवारवाद इनके बीच रोड़ा न बने। तो कहीं हारती हुई बार बार की छवि किसी की…. बहरहाल वख्त ही फैशला करेगा कि खैरागढ़ विधायक की कुर्शी पर जनता अब किसे देखना चाहती है।