नगर में पब्लिसिटी पाने , लाला ने चली अपनी चाल ।
बैठ गए सड़क किनारे , तान दिया तंबू और पंडाल ।
न सुर है न ताल , करने चले भूखहड़ताल।।
व्यंग्य
सियासत की कलम से✍️✍️
भूख हड़ताल पर मेरा ये व्यक्तिगत अभिमत है जिसे मैं आप सभी से साझा कर रहा हूँ। ऐसा ही नजारा मुझे कुछ दिनों से मेरे गांव से कुछ ही दूर पर स्तिथ एक नगर में देखने को मिला। जहां पर एक पूर्व युवा छात्र संघ के अध्यक्ष थे जो अपनी बुजुर्ग अवस्था के पड़ाव में आते-आते जेएनयू के छात्र की तर्ज पर नगर में अचानक अपनी राजनीति की अलख जगाने की कोशिस करते हुए , अपने कुछ युवा बुजुर्ग भाई बहन, छात्रों के साथ किसी मांग को लेकर सड़क किनारे पंडाल लगा करके भूखहड़ताल पर बैठे थे ।
दरअसल व्यंग्य कसना तो हमारी आदत है पर आज हम कुछ सलाह भी दे देते हैं। या यूँ कहें तो व्यंग्यात्मक सलाह हम मुफ्त में दे रहे हैं। जिसे सभी पाठक पठन करके एक आनंदात्मक हास्य रस का भरपूर अनुभूति अवश्य करेंगे। और समय आने पर इसे आजमाएंगे भी।
तो शुरू करते हैं , क्रमिक भूखहड़ताल का आज तीसरा – चौथा दिन ही हुवा था कि युवा छात्र बुजुर्ग भावी नेता का वजन डेढ़ किलो बढ़ गया। नगर में अचानक उनकी इस वज़न दार आंदोलन की जानकारी मिलते ही बड़ी फजीहत हुई। अब होगी भी क्यों न , बैठे-बैठे दिन भर होटलों और टपरीयों से सड़क से गुजरने वाले सभी लोगों को आवाज दे-दे देकर जो चाय पानी नाश्ता के लिए आमंत्रण जो दे रहे थे। अथार्त इन्हीं के बहाने कुछ पेट पूजा इनका भी हो जाता था।
मेरा तो मानना है मान्यवर छात्र जीवन की राजनीति और बुजुर्ग अवस्था की राजनीति में काफी अंतर होता है।
भूख हड़ताल अब सत्याग्रह नहीं बल्कि एक कला है और भूख हड़ताली एक कलाकार। मेरे हिसाब से अब वक्त आ गया है की जब भूख हड़ताल से पहले भूख हड़तालीयों को इसका भी क्रैश कोर्स की तरह तालीम दी जाये।इस क्रैश कोर्स में भूखहड़तालियों को संभावित सावधानियों से लेकर लंबे वक्त तक के भूख हड़ताल जारी रखने के समस्त उपाय भी बताए जाएं। मैंने एक छोटा सा साहसिक प्रयास किया है।
भूख हड़तालियों के बीच जाकर हमने एक ऐसा ही संक्षिप्त सा क्रैश कोर्स भी तैयार किया है , कोर्स के मुख्य बिन्दु निम्नलिखित हैं।
(1) भूख हड़ताल पर बैठने से पहले अपना वजन चार किलो बढ़ाकर बताएं। बातों बातों में दोहराएं कि आपका वजन कितना है (झूठा)
▪️ साहब बिना पूछे ही बता देते हैं वजन कम हो गया है पहले से।
(2) भूख हड़ताल पर बैठने से पहले बेहोश होने के तमाम फिल्मी दृश्यों को घोंट कर पी जाएं। यानी इतना अभ्यास कर लें कि कभी भी जरुरत पड़ने पर झटका मारकर आप बेहोश होने का ड्रामा भी कर सकें।
▪️अभी कुछ ही दिन हुए हैं । सहयोगी आंदोलन कारियों के पराक्रम के बाद अब ये भी करने की सोच रहे हैं।
(3) एक दिन पहले पसंदीदा रेस्तरां में जाकर जमकर खा पीकर आएं । ताकि सामने बैठे लोगों को चाय, पानी , नास्ता , चिप्स खाते हुए देख आपका मन कम से कम एक दो दिन तक डांवाडोल न हो।
▪️साहब शुरुवात में ही ऐसा कर चुके हैं , किंतु रात्रि में घर जाकर सुबह और रात्रि में अल्पाहार , स्वल्पाहार , कलेवा सब कर लेते हैं। जी नहीं मचलता दूसरों को खाते पीते देख कर।
(4) कोशिश करें कि अच्छे मौसम में ही भूख हड़ताल पर बैठें। लेकिन मजबूरी में अगर गर्मी के मौसम में भूख हड़ताल का कार्यक्रम है तो कोशिश करें एमपी-एमएलए-सीएम-डीएम के घर या किसी अस्पताल के एसी वेटिंग रुम में अनशन या भूख हड़ताल करें।
▪️साहब ने मौषम तो अच्छा चुना है पर क्या करें मौषम बेईमान है बारिश के दिनों में काफी उमस के साथ गर्मी का माहौल व्याप्त है। इनके आस पास सभी शाखा भी है, जरूरत पड़ी तो कुछ ही दूर में अस्पताल भी है , पलक झपकते ही वहाँ पहुंच जाएंगे।
(5) ध्यान रहे अच्छी क्वालिटी के गद्दे की व्यवस्था करके रखें क्योंकि अनशन के वक्त गद्दा बड़ा सहारा होता है।
▪️अभी दरी से काम चला रहे हैं , आगे देखते हैं । साहब गद्दे के साथ पलंग बिछवाने की सोच रहे हैं।
(6) अनशन से पहले अच्छी कंपनी का मोबाइल खरीदें, जिसका कैमरा अच्छा हो क्योंकि अनशन की सेल्फी फेसबुक पर पोस्ट करना बहुत जरुरी है। एक इंसान के जीवन में एक या दो मौके ही आते हैं, जब वो भूख हड़ताल वगैरह पर बैठता है। इसलिए जितने घंटे भी भूख हड़ताल करें, उसकी सेल्फी पोस्ट करते रहें। और ध्यान रहे कि हर सेल्फी में चेहरा पिछली सेल्फी से बुझा दिखना चाहिए।
▪️साहब का खानदान भले राजसी न हो पर जीवन संगिनी ने शाही बना दिया है । महंगे मोबाइल और ब्रांडेट कार के साथ , ब्रांडेड जीन्स अब सारे शौक तो ऐसे ही पूरा हो गए हैं । हमारी ऐसी किस्मत कहाँ।
(7) मोबाइल का चार्जर साथ रखें और ज्यादा से ज्यादा जीबी का इंटरनेट पैक खरीद लें। धरनास्थल पर वाईफाई होने की कोई गारंटी नहीं होती। फिर, आजकल भूखहड़ताल के एक दो दिन बाद तक ही लोगों का साथ मिलता है। ऐसे में इंटरनेट के आसरे ही वक्त कटता है।
▪️ये साहब अपने पंडाल में सड़क से गुजरने वालों को चाय पानी पीने के बहाने से बुलाकर अपने समीप बिठा कर फ़ोटो खिंचवा लेते हैं । समय समय पर घंटे दो घंटे के लिए घर से बुलावा आने पर चले भी जाते हैं। जहां पर स्वंय भी चार्ज हो जाते हैं और मोबाइल को भी रिचार्च कर लेते
(8) कुछ भूख हड़ताल आजकल ऐसी भी हो रही हैं , जिसमें बंदा रात 6 से सुबह 6 बजे तक के लिए धरनास्थल से घर चला जाता है। सोने के लिए घरवाले आग्रह करते हैं तो कुछ खा-पी भी लेता है। आखिर, घरवालों की सुननी पड़ती है।
▪️इन्होंने वैसे अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए सुबह 10 बजे से शाम शाम 5 बजे तक के ही भूख हड़ताल का नायाब फैसला लिया है।
(9) अगर आप पक्के भूखहड़ताली नहीं है तो ‘डे ओनली’ वाला विकल्प ही चुनें। हो सकता है कुछ नासमझ लोग आपको समझाएं कि इससे प्रतिष्ठा में कमी आएगी लेकिन प्रतिष्ठा मीडिया में खबर छपने या न छपने से आती-जाती है।
▪️ दूसरे आंदोलन कारियों का श्रेय ये स्वंय ले रहे हैं तभी तो बड़े बैंनरो के पत्रिकाओं में फोटो और नाम इन्हीं का रहता है। वो कहावत है न मेहनत करे मुर्गा अंडा खाये फ़क़ीर।
मुश्किल वक्त के लिए दो दोस्त तैयार रखिए, जो तबियत बिगड़ते ही जबरन जूस पिलाकर आपकी हड़ताल यह कहते हुए तुड़वा दें कि लड़ाई अभी जारी रहेगी। ध्यान रखिए आपने भूखहड़ताल सिर्फ अपनी मांगे मनवाने के लिए रखी है, सच्ची मुच्ची में जान देने के लिए नहीं।
टिप :― उक्त व्यंग्य सिर्फ और सिर्फ विभिन्न रसों के आनन्द हेतु संपादक द्वारा लिखा गया है। यह एक काल्पनिक सोच है। जिसका किसी भी वास्तविकता या घटनाक्रम से लेना देना नहीं है यदि इस तरह का समानता मिलती है तो यह एक सयोंग मात्र कहलायेगा। इसका उद्देस्य किसी भी आमरण अनसन में बैठे लोगों की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं है।