▪️मौसमी धान के आगमन के बाद अब खुजलाते हुए जिमीकन्द का मार्केट में बिनमौसम आगमन करवा दिया चमचों ने।
(व्यंग्य ) :― मजेदार हास्यास्पद व्यंग्य
व्यंग्य रचनाकार :― नितिन कुमार भांडेकर. 9589050550
एक कहावत है बगीचे में जितने ज्यादा *फूल* होते हैं , बगीचा उतना ही ज्यादा सुंदर दिखता है । पर यह मौषम तो फूलों का नहीं है । इसलिए नगर के महारिथियों ने इस बगीचे में फूलों की जगह में धान की फसल लगा दी । कभी एक जमाने में जिस बगीया में कहीं *रमणीय* फूलों के साथ *चार आलुओं* का दबदबा था । वहीं आजकल चीकू , आलू , बेर , रामफल , खाना तो दूर इनके दर्शन भी दुर्लभ हैं। इनके बोली सुनने अब तो कान भी तरस गए हैं। खैर……. अभी का मौषम तो फिलहाल तरह तरह के वैरिएंट धान के करगाओं का है जो हवा में बस लंबी लंबी बातें छोड़ते हैं जिनकी गन्ध खुद ही ले रहे हैं।
यह आलम पहले ऐसा नहीं था अचानक खेतिहर मजदूरों ने चिल्हर की जगह अब नोट कमाने धान की खेती शुरू कर दी। बगीचे का स्वरूप बदलते देख मजदूरों की गुस्ताखी फूलों को रास न आई । फूलों ने भी चाल चलते हुए यहां भी सियासी कूटनीति का दलबदलुओं के कान भरकर जिमीकन्द बोने का पासा फेंक दिया । जहां पर अब धान के साथ अपनी अस्तित्व खत्म होता देख स्वंय करगा की तरह उग गए। अब धान की शक्ल में कुछ करगा भी खेत में उग आए। जिन्हें पहचानना थोड़ा मुश्किल था पर नामुनकिन नहीं। अब करगाओं ने भी अपना सिक्का चलाने एक सियासी दल बना लिया ।
इधर धान की फसल में बालियों की पहली दफा आगमन पर इनके झलक हेतु मजदूरों ने सैकड़ों की तादात में रैलियां निकाली नगर नगर गांव गांव मुनादी करवाई। जिससे इस पहली झलक के त्योहार में सभी मजदूर धान की पहली झलक पाने इस त्योहार में शामिल हो गए। जहाँ सड़कों पर लंबी भीड़ उमड़ पड़ी , वहीं कुछ परिवहन के साधनों पर सवार मजदूरों की सैकड़ों की तादात ने नगर में जाहिर कर दिया कि खेत में सिर्फ धान ही अच्छे लगते हैं। न कि करगाओं के साथ फूल ।
इधर देसी प्रोडक्ट के इस तरह लांचिंग को देख कर विदेसी कंपनियों के हाथ पैर फूलने लग गए । खेतों में करगाओं पर जोर लगाते हुए दम लगा कर दम भरने लगे। करगाओं को धान के विरुद्ध ही खड़ा करा दिया। अब भला करगा कभी धान बन सकता है। लेकिन करगाओं के साथ कुछ धान भी चिपक जाते हैं जो फसल कटाई के समय कट जाते हैं। खैर…. मजदूर की पहली फसल थी जिसके स्वागत में काफी प्रचार प्रसार किया जिसमें अनगिनत वेराइटी के खेती करने वाले तथा धान के समकक्ष फसल करने वालों का आगमन हुवा था।
करगाओं को धान की पहली झलक पर उमड़ी भीड़ से मिलने वाली वाहवाही और कार्यक्रम की अपार सफलता के कारण सीने में जोर जोर से अब सुई चुभने लगी थी। इस चुभन भरी समस्या के निदान हेतु करगाओं ने फूलों से युक्ति मांग डाली। वो कहते हैं न ……… अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी दे मारना। फूलों ने भी फुट डालो और राज करो कि नीति अपनाई और कन्दों के राजा जिमीकन्द के फसल को बोने की युक्ति सुझाई। सुझाव सुनकर सबके चेहरों पर मुस्कान का ठिकाना न रहा। विदेसी कंपनियों की चाल अब सफलता के चरमसीमा में पहुंच चुकी थी।
कुछ रोज बाद हवाबाजों के सानिध्य में 80 किलोग्राम से ऊपर के एक मोटे नाटे गोल मटोल युवा जिमीकन्द का आगमन पूरे कीचड़ मिट्टी में सने अपने छिलटों के साथ खुजलाते हुए हुवा। स्वागत पर आए करगाओं पर खुजलाते हुए जिमीकन्द ने अपनी पहली झलक करगाओं को दिखला दी। अब खेत में धान की तादात ज्यादा होती है । न कि करगा की ……. तो आगमन के बाद खुजलाते हुए चौक चौक पर सबसे मिलते चले। वहीं कुछ राशिले लोग जिनको नशा करने की आदत है और इनका कारोबार भी यही है , अपने नशेड़ियों के सौदागरों के साथ फूलमाला से अभिनंदन किया । अब भई कद्दू कटेगा तो सबमें बटेगा। कोई भूखा नही सोएगा। सब अपने अपने स्वार्थ में रम गए। अगले चौक तक पहुंचते पहुंचते 100 की संख्या में मद्यपान करने वाली भीड़ शायद चली गयी। शायद करगाओं ने उनकी व्यवस्था ठीक से नहीं कि थी । करगाओं की कीमत बाजार में रद्दी के भाव भी नहीं होती है । तो उधारी भी कौन दे देगा। भला , लँगड़े घोड़े पर कोई दांव थोड़ी लगाता है । इधर बेसुरे संगीत के धुन में सोमरश के उमंग में जिमीकन्द के छिलके और छिलटे सहित चमचों द्वारा गली गली विचरण किया गया। साथ ही करगाओं के बीच उगी कुछ चंपा चमेलियों ने भी अपनी पंखुड़ियां फैला कर जिमीकन्द की शोभा बढ़ा दी। अब भले ही नाजुक सी कलियों की पूछ परख कोई न करता हो पर इन्हें भी अपनी खुश्बू बिखेरने का बड़ा शौक रहता है। जिमीकंद ने धान की तर्ज पर अपना भाषण देना चाहा पर धान की कीमत बाजार में ज्यादा है जनाब न कि जिमीकन्द की। खैर ……. आसपास करगाओं में गिने चुने 50 से 60 करगा के साथ चिपक के आये कुछ धान थे जो ये नजारा देख रहे थे। आज धान सबकी पसंद है हर कोई इसे उगाना चाहता है। पर ये कटु सत्य है धान के साथ करगा तो उगेगा ही । जिस पर नाजु निंदा नाशक दवाई का उपयोग करना ही मजदूरों के लिए उत्तम , अति उत्तम के साथ सर्वोत्तम होगा। तभी तो हम सब मोहित हैं इस मन को मोहने वाले इस नट्टू और लंबू धान के मनोहर रूप को देखकर । खैर…. इतनी किरकिरी होने के बाद शायद अब करगाओं में थोड़ी बहुत तो अक्ल आ गयी होगी । बिन मौषम आगमन नहीं करवाया जाता । अभी सीजन धान का है। न कि जिमीकन्द का, बेहतर है धान के साथ चलो यही उत्तम होगा।