▪️नल वाली मैडम पानी टँकी पर कर रही नौटंकी।
आखिर कब खोलोगी ये पलकें अपनी।
व्यंग्य:― किस्सा है छुहीयों के खदान में रहने वाली नल वाली मैडम की जिनकी आंखे मृगनयनी , कद छोटा किंतु नोटों का बंडल लेती है मोटा। रिश्वतखोरी के साथ भ्रस्टाचार करने का टैलेंट तो इनमें कूट कूट कर भरा है। जैसे अचार में मशाले कूट कूट कर भरे जाते हैैं।
घुस खाने की प्रतिभा तो इतना है कि मैडम ने अपने बैच मेटों को भी , पीछे छोड़ रखा है। एक परीक्षा क्या उत्तीर्ण कर ली मैडम मुखिया बन बैठी है। नल में जल विस्तार करने का यंत्र स्थापित करना हो या खनन करना हो , यहाँ पर नल वाली मैडम अपने नियम कानून और स्टीमेट ही मानती है। बस उन्हें कीमती नोटों के बंडल की खुश्बू आनी चहिये। भले प्यासे मरे गांव के लोग।
इनसे जुड़ी एक बात याद आ गयी कि नल वाली मैडम को आज 11 साल हो गए हैं। पर अब भी टैंकर जैसे भाई साहब के चक्कर में अविवाहित हैं। और उनसे बेपनाह मोह्हबत करती हैं। इससे तो यही पता लगता है कि मैडम अपने लिए दूसरा वर जानबूझकर ढूंढना नहीं चाहती। पर हमें क्या… हमें तो मैडम की आंखों के पलके खुलवाना है जो कठोर रूप से कई महीनों से बन्द करके बैठी है। अब पलकें उठाये य न उठाएं हम तो नल का ही पानी उनके आंखों में उलेढ़ देंगे। जिस तरह से मैडम अपनी आशिकी निभा रही है वैसे ही हम भी अपनी बेरुखी दिखा देंगे। मैडम तो एक बोर्ड भी लगाना पसन्द नहीं करती । कहती है रकम मोटी होने दो तब आखिरी में टँगवा दूंगी। इससे तो यही लगता है कि इनका ध्यान अपने प्रेम प्रसंग में ज्यादा है न कि , नल चालू बन्द करने में। हमारा तो कहना है मैडम या तो आप मोहब्बत कर लो या घर बसा लो , या ये सब छोड़कर अपने काम काज पे ध्यान दें तो बेहतर है।
वैसे भी आपने अपनी सुंदरता की बदबू खदान में काफी बिखेर रखी है। लोग अब अपनी नाक आंख मूंदे पड़ रहे हैं। कहीं निर्मित टँकी इनके गुस्से से टूट फुट कर आपको निलंबित न करवा दे। फिर करते रहिएगा बेपनाह आशिकी अपने चहेतों के साथ। खैर… इतने से भी अगर आपके पलके न खुली हों तो बताइयेगा। हम आपके घर तक नए नल पाइप की योजना स्वीकृत करवा देंगे। जिसमें ईडी , आईटी , पानी पिलाने सीधे घर तक आएंगे।